इस TEST से पता लगाएं कि आप DEPRESSION में हैं या नहीं…!!!

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कई बार हम डिप्रेशन में होते हैं, मगर इसे समझ नहीं पाते हैं। समय के साथ कई बार समस्या खत्म होने लगती है, लेकिन बहुत बार परेशानी बढ़ती जाती है। यहां कुछ ऐसे प्रश्न पूछे गए हैं जिनके आधार पर जान सकते हैं कि आप डिप्रेस्ड हैं या नहीं। जवाब देते वक्त पिछले दो हफ्ते में मूड या व्यवहार कैसा था, इसे ध्यान में रखिए।

पिछले दो सप्ताह के अनुभव के आधार पर इन सवालों के जवाब ‘नहीं’, ‘हां’ और ‘शायद’ के रूप में दीजिए।

1. बिना किसी कारण के रोने का मन करता है या चिड़चिड़ा महसूस करते हैं ?

2. मुड खराब होने के कारण ऑफिस या काम पर जाने का मन नहीं करता ?

3. फिल्म, म्यूज़िक, फ्रेंड्स या हॉबी के प्रति रुझान कम होना ?

4. पूरा दिन बेचैनी महसूस करना और रात को नींद न आना ?

5. लाइफस्टाइल में कोई बदलाव नहीं आना, लेकिन वज़न बढ़ने लगना ?

6. ऑफिस या घर में पहले की तुलना में ज़्यादा असुरक्षित महसूस करना ?

7. लगने लगे कि ज़िंदगी में विफल हो चुके हैं या किसी की उम्मीदों पर खरे नहीं
उतर रहे हैं ?

8. पहले सारा काम समय पर पूरा हो जाता था, लेकिन पिछले 1 महीने में आप 3-4 वर्क
डेडलाइन मिस कर चुके हैं ?

9. दोस्तों से मिलना, ब्याह-शादी पर इसलिए न जाना, क्योंकि आपका किसी से मिलने का मन नहीं हो रहा है।

10. आशाहीन हो चुके हैं और कई बार सुसाइड करने का मन करता है ?

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7 या इससे ज़्यादा प्रश्नों का जवाब हां है तो-

आपके क्लिनिकली डिप्रेस्ड होने की आशंका हो सकती है। समय बर्बाद किए बिना प्रोफेशनल डॉक्टर को दिखाएं। जैसे-जैसे समय बीतेगा, समस्या गंभीर होती जाएगी।

7 से कम प्रश्नों का जवाब हां है, तो-

आप क्लिनिकली डिप्रेस्ड नहीं हैं। किसी प्रोफेशनल डॉक्टर की ज़रूरत नहीं है। महीने में एक बार इस टेस्ट को दोहराएं। इससे मानसिक स्थिति का पता चेलगा।

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डिप्रेशन क्या है ?

जीवन में कभी-कभार लो फील करना एक सामान्य बात है, लेकिन जब ये एहसास बहुत समय तक बना रहे और आपका साथ ना छोड़े तो ये डिप्रेशन या अवसाद हो सकता है।
ऐसे में जीवन बड़ा नीरस और खाली-खाली सा लगने लगता है। न दोस्त अच्छे लगते हैं और न ही किसी और काम में मन लगता है। लाइफ में पॉज़िटिव बातें भी नेगेटिव लगने लगती हैं।

यदि आपके साथ भी ऐसा होता है, तो घबराने की ज़रूरत नहीं है। ज़रूरत है डिप्रेशन के लक्षणों और कारणों को समझने की और फिर उसका इलाज करने की।

डिप्रेशन के लक्षण:

1- या तो आपको नींद नहीं आती या बहुत अधिक नींद आती है।

2- आप ध्यान नहीं केंद्रित कर पाते और जो काम आप पहले आसानी से कर लेते थे, उन्हें करने में कठिनाई होती है।

3- आपको लगता है कि आप अकेले हैं और आपकी मदद करने के लिए कोई नहीं है।

4- आप चाहे जितनी कोशिश करें, पर अपनी नेगेटिव सोच पर काबू नहीं रख पाते।

5- या तो आपको भूख नहीं लगती या आप बहुत ज्यादा खाते हैं।

6- आप पहले से कहीं जल्दी परेशान हो जाते हैं और गुस्सा करने लगते हैं।

7- आप ज़्यादा शराब पीते हैं।

8- आपको लगता है कि ज़िंदगी जीने लायक नहीं है और आपके मन में आत्महत्या करने के विचार आते हैं। ( ऐसा है तो तुरंत इलाज कराएं)

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डिप्रेशन के कारण:

कुछ बीमारियों के कारण जानने के बाद इलाज आसान हो जाता है। जैसे डायबिटीज़ है, तो इन्सुलिन लें, पथरी है तो सर्जरी करवाएं, लेकिन डिप्रेशन थोड़ी जटिल बीमारी है। डिप्रेशन सिर्फ मस्तिष्क में हो रहे केमिकल इम्बैलेंस की वजह से ही नहीं, बल्कि कोई अन्य जैविक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारणों से भी हो सकता है। दूसरे शब्दों में कहें तो ये आपकी लाइफस्टाइल, आपके रिश्ते, आप समस्याओं को कैसे हैंडल करते हैं, इन बातों की वजह से भी हो सकता है। पर निम्नलिखित की वजह से डिप्रेशन होने के चांसेस बढ़ जाते हैं।

1- अकेलापन।

2- दोस्तों और परिवार के सपोर्ट की कमी।

3- हाल में हुए तनावपूर्ण अनुभव।

4- वैवाहिक या अन्य रिश्तों में खटास।

5- खराब बचपन।

6- शराब या अन्य नशीली दवाओं का सेवन।

7- बेरोज़गारी।

8- काम का प्रेशर।

इस तरह डिप्रेशन से निजात पाएं:

1- रिश्तों में सुधार ला कर।

2- रोज़ व्यायाम करके।

3- भरपूर भोजन करके।

4- खुद को एंटरटेन करके।

5- नकारात्मक सोच बदल कर।

6- खुद से स्ट्रेस को दूर रखकर।

7- ज़रूरत से ज़्यादा इमोशनल होने से बचें।

8- डिप्रेशन शब्द का प्रयोग कम से कम करें।

9- छोटी-मोटी परेशानियों को भुला दें।

10- कुछ अच्छा पढ़ें, जो आपके अंदर पॉज़िटिव फीलिंग लाए।

11- नकारात्मक सोच रखने वालों से दूरी बना कर रखें।

12- इस बात को समझें कि ज़िंदगी में जब तक फेल नहीं होंगे, तब तक कुछ सीखेंगे नहीं। इसलिए असफलता को लाइफ का अंत न समझें।

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डिप्रेशन से आत्महत्या की ओर :

बहुत ज्यादा डिप्रेशन की वज़ह से व्यक्ति आत्महत्या करने तक की सोच सकता है। डिप्रेशन के दौरान व्यक्ति खुद को बिल्कुल असहाय महसूस कर सकता है और उसे सभी समस्याओं का हल अपनी ज़िंदगी खत्म करने में नज़र आने लगती है।
यदि कोई आपसे आत्महत्या करने जैसी बातें करता है तो संभवतः वो डिप्रेशन से ग्रसित है और वो सिर्फ आपको अपनी बात ही नहीं बता रहा है, बल्कि वो मदद के लिए भी कह रहा है। आपको उसकी मदद ज़रूर करनी चाहिए और यदि आप खुद को ऐसा करते देख रहे हैं तो बिना देरी किए आपको डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए।

यदि आप किसी में इन बातों को देखते हैं तो वो आत्महत्या के लिए चेतावनी हो सकती है:

1- अपने को मारने या ख़त्म करने के बारे में बात करना।

2- अचानक ही लोगों को गुडबाय करने के लिए मिलना या फोन करना।

3- बिना वजह अपनी संपत्ति या दूसरी चीजों को दूसरों को देना।

4- ऐसी भावनाएं व्यक्त करना जिससे व्यक्ति बहुत ही असहाय और उलझा हुआ प्रतीत हो।

5- हमेशा मरने संबंधी बातें करना।

6- असामान्य व्यवहार करना।

7- असामान्य बातें करना।

8- अचानक ही एकदम डिप्रेस्ड होना और फिर ख़ुशी जाहिर करने लगना।

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किसी तरह की शारीरिक परेशानी होने पर डॉक्टर पानी पीने की सलाह देते हैं। दिन में कम से कम रोज़ 8 गिलास पानी पीना चाहिए। इससे आपका डायजेस्टिव सिस्टम, स्किन और बाल हेल्दी रहते हैं। पानी शरीर से बेकार पदार्थ बहार निकालता है। पानी को लेकर कई तरह की बातें सुनने को मिलती हैं। अगर पानी पीने के फायदे हैं, तो नुकसान भी हैं। पहले हम इन फायदों के बारे में जानते हैं।

पानी पीने के 10 फायदे:

यहां आपको कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं, ताकि आपको पानी की कमी से होने वाली बीमारियां न घेरें। इसलिए कुछ बातों का ख़ास ध्य़ान रखें।

1.सुबह उठते ही एक गिलास पानी पीना अच्छा होता है। इसे अपनी आदत में शामिल करें। इससे पेट साफ रहता है। पानी पीने से स्किन में रूखापन नहीं होता।

2. सुबह उठने के बाद गरम या गुनगुने पानी में शहद और नींबू डालकर पिया करें। इससे टॉक्सिक एलिमेंट शरीर से निकल जाते हैं और इम्यून सिस्टम भी सही रहता है।

3.कुछ लोग ज़्यादा ही ठंडा पानी पीते हैं। इससे गुर्दे खराब हो सकते हैं। इसलिए ज़्यादा ठंडा पानी न पिएं।

4.अगर आप चाय या कॉफी ज्यादा पीते हैं तो उसकी जगह ग्रीन टी पिएं। इससे एनर्जी मिलती है।

5.सॉफ्ट ड्रिंक की जगह गुनगुना पानी या नींबू पानी पिया करें। आपका एनर्जी लेवल बढ़ेगा और डायजेस्टिव सिस्टम भी सही रहेगा।

6.वजन कम करने के लिए ठंडे पानी की जगह गुनगुना गर्म पानी पीना फायदेमंद होता है।

7. पानी पीने से एसिडिटी हटती है, क्योंकि पानी पेट साफ रखता है।

8. हमारा दिमाग 90 प्रतिशत पानी से बना है। पानी न पीने से भी सिर दर्द होता है।

9. पानी जोड़ों को चिकना बनाता है और जोड़ों का दर्द भी कम करता है।

10. हमारी मांसपेशियों का 80 प्रतिशत भाग पानी से बना हुआ है। इसलिए पानी पानी से मांसपेशियों की ऐंठन भी दूर होती है।

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बीमारियों से भी दूर रखता है पानी:

निम्नलिखित दिक्कतें या स्थिति में भी पानी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए।

– बुखार होने पर।
– ज़्यादा वर्कआउट करने पर।
– अगर आप गर्म वातावरण में हैं।
– प्यास लगे या न लगे, बीच-बीच में पानी पीते रहें। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं रहेगी।
– बाल झड़ने पर।
– टेंशन के दौरान।
– पथरी होने पर।
– स्किन पर पिंपल्स होने पर।
– स्किन पर फंगस, खुजली होने पर।
– यूरिन इन्फेक्शन होने पर।
– पानी की कमी होने पर।
– हैजा जैसी बीमारी के दौरान।

आयुर्वेद के अनुसार:

आयुर्वेद के अनुसार हल्का गर्म पानी पीने से पित्त और कफ दोष नहीं होता और डायजेस्टिव सिस्टम सही रहता है। 10 मिनट पानी को उबालें और रख लें। प्यास लगने पर धीरे-धीरे पीते रहें। ऐसा करने से यह पता चलता है कि आप दिन में कितना पानी पीते हैं और कितने समय में पीते हैं। आप पानी उबालते समय उसमें अदरक का एक टुकड़ा भी डाल सकते हैं। इससे फायदा होगा।
उबालने के बाद ठंडा हुआ पानी कफ और पित्त को नहीं बढ़ाता, लेकिन एक दिन या उससे ज़्यादा हो जाने पर वही पानी नहीं पीना चाहिए, क्योंकि बासी हो जाने पर पानी में कुछ ऐसे जीवाणु विकसित हो जाते हैं, जो स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं। बासी पानी वात, कफ और पित्त को बढ़ाता है।

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पानी पीने के नुकसान :

1- ज़रूरत से ज़्यादा पानी पीने से किडनी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।

2- पानी के ओवरडोज़ से आपके शरीर के सेल्स डैमेज हो सकते हैं।

3- जिन मरीज़ों की बाय-पास सर्जरी हुई है, उनमें से कुछ मामलों में भी डॉक्टर्स पानी कम पीने की सलाह देते हैं।

4- जरूरत से ज्यादा पानी पीने से हमारे शरीर में मौजूद वह पाचन रस काम करना बंद कर देता है, जिससे खाना पचता है। इस वजह से खाना देर से पचने लगता है और कई बार खाना पूरी तरह से डाइजेस्ट भी नहीं हो पाता है।

5- हेल्थ विशेषज्ञों के अनुसार, खाने के बाद ठंडा पानी पीने से आपको नुकसान पहुंच सकता है। दरअसल, गर्म खाने के बाद आप जैसे ही ठंडा पानी पीते हैं, शरीर में खाया हुआ ऑयली खाना जमने लगता है। इससे आपकी पाचन शक्ति भी कम हो जाती है। बाद में यह फैट में भी तबदील हो जाता है। इसलिए खाने के बाद गर्म पानी पीने की सलाह दी जाती है।

पानी पीने से जुड़े कुछ ज़रूरी TIPS:

1- धूप से घर आकर तुरंत पानी न पिएं। यह खतरनाक हो सकता है।

2- कई बार खाली पेट पानी पीने से सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियां हो जाती हैं।

3- खाने के तुरंत बाद पानी पीने से फैट बढ़ता है और आप आलसी महसूस करते हैं।

4- चिकनाई वाले खाने या खरबूजा, खीरा के तुरंत बाद पानी पीने से खांसी, जुकाम हो सकता है।

5- कई लोगों को पानी पीने से एसिडिटी की भी शिकायत होती है।

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क्या हेल्दी इंसान को भी दिन में 8 गिलास पानी पीना चाहिए ?

रोज़ 8 गिलास पानी पीने के पीछे कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं है। यह जरूरी नहीं कि आप 8 गिलास पानी 8 बार ही पिएं। अनेक बुद्धिजीवियों ने लेख लिखे हैं, जिनमें पानी कितना और कैसे पीना चाहिए, इस पर विचार किया गया है। इस बात को प्रामाणिकता के साथ कहा जा सकता है कि जो लोग स्वस्थ हैं, उन्हें ज़रूरत से ज़्यादा पानी नहीं पीना चाहिए।

हम रोज़ तरल पदार्थ के रूप में चाय, कॉफी या कोल्ड ड्रिंक लेते हैं। इसमें कैफीन की मात्रा अधिक होती है। शरीर में कैफीन की मात्रा अधिक होने पर ब्लड की मात्रा कम हो जाती है। ब्लड में कैफीन की मात्रा कम करने के लिए पानी बेहद ज़रूरी है। अगर आप दिन में 4 कप चाय या कॉफी पीते हैं तो कम से कम 8 गिलास पानी ज़रूर पिएं। इससे शरीर का सिस्टम सही रहता है।
शरीर को रोगमुक्त और स्वस्थ रखने के लिए पानी पीना बेहद ज़रूरी है।

वयस्क लोगों को दिन में 2.5 लीटर पानी पीना चाहिए। कैलोरी को शरीर में घुलने के लिए पर्याप्त पानी का होना जरूरी है। शरीर से पसीना निकलने, एक्सरसाइज़ करने, डायरिया और किडनी में स्टोन होने पर पानी की कमी हो जाती है। ऐसे में, जीवन को भी खतरा हो सकता है। शरीर में पानी की कमी होने पर सबसे ज्यादा प्रभाव ब्लैडर पर पड़ता है।

ज़रूरी जानकारी:

1. हमारे शरीर का 60 से 70 प्रतिशत हिस्सा पानी से बना है। प्रतिदिन शरीर को 6 से 10 गिलास पानी की आवश्यकता होती है।
इस आवश्यकता का एक बड़ा भाग खाद्य पदार्थों के रूप में शरीर ग्रहण करता है। शेष पानी मनुष्य पीता है।

2. पानी शरीर के अतिरिक्त तत्व को पसीना और मूत्र के रूप में बाहर निकालने में सहायक होता है, मल के निष्कासन में भी सहायक होता है।

3. एक वयस्क पुरुष के शरीर में पानी उसके शरीर के कुल भार का लगभग 65 प्रतिशत और एक वयस्क स्त्री शरीर में उसके शरीर के कुल भार का लगभग 52 प्रतिशत तक होता है।

4. शरीर की हड्डियों में 22 प्रतिशत पानी होता है, दांतों में 10 प्रतिशत, त्वचा में 20, मस्तिष्क में 74.5, मांसपेशियों में 75.6 और खून में 83 प्रतिशत पानी होता है।

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जल है औषध समान
अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम |
भोजने चामृतं वारि भोजनान्ते विषप्रदम ||

‘अजीर्ण होने पर जल-पान औषधवत हैं | भोजन पच जाने पर अर्थात भोजन के डेढ़- दो घंटे बाद पानी पीना बलदायक है | भोजन के मध्य में पानी पीना अमृत के समान है और भोजन के अंत में विष के समान अर्थात पाचनक्रिया के लिए हानिकारक है |’ (चाणक्य नीति :८.७)

विविध व्याधियों में जल-पान

१) अल्प जल-पान : उबला हुआ पानी ठंडा करके थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पीने से अरुचि, जुकाम, मंदाग्नि, सुजन, खट्टी डकारें, पेट के रोग, नया बुखार और मधुमेह में लाभ होता है |

२) उष्ण जल-पान : सुबह उबाला हुआ पानी गुनगुना करके दिनभर पीने से प्रमेह, मधुमेह, मोटापा, बवासीर, खाँसी-जुकाम, नया ज्वर, कब्ज, गठिया, जोड़ों का दर्द, मंदाग्नि, अरुचि, वात व कफ जन्य रोग, अफरा, संग्रहणी, श्वास की तकलीफ, पीलिया, गुल्म, पार्श्व शूल आदि में पथ्य का काम करता है |

३) प्रात: उषापान : सूर्योदय से २ घंटा पूर्व, शौच क्रिया से पहले रात का रखा हुआ पाव से आधा लीटर पानी पीना असंख्य रोगों से रक्षा करनेवाला है | शौच के बाद पानी न पियें |

औषधिसिद्ध जल

१) सोंठ-जल : दो लीटर पानी में २ ग्राम सोंठ का चूर्ण या १ साबूत टुकड़ा डालकर पानी आधा होने तक उबालें | ठंडा करके छान लें | यह जल गठिया, जोड़ों का दर्द, मधुमेह, दमा, क्षयरोग (टी.बी.), पुरानी सर्दी, बुखार, हिचकी, अजीर्ण, कृमि, दस्त, आमदोष, बहुमुत्रता तथा कफजन्य रोगों में खूब लाभदायी है |

२) अजवायन-जल : एक लीटर पानी में एक चम्मच (करीब ८.५ ग्राम) अजवायन डालकर उबालें | पानी आधा रह जाय तो ठंडा करके छान लें | उष्ण प्रकृति का यह जल ह्दय-शूल, गैस, कृमि, हिचकी, अरुचि, मंदाग्नि,पीठ व कमर का दर्द, अजीर्ण, दस्त, सर्दी व बहुमुत्रता में लाभदायी है |

३) जीरा-जल : एक लीटर पानी में एक से डेढ़ चम्मच जीरा डालकर उबालें | पौना लीटर पानी बचने पर ठंडा कर छान लें | शीतल गुणवाला यह जल गर्भवती एवं प्रसूता स्रियों के लिए तथा रक्तप्रदर, श्वेतप्रदर, अनियमित मासिकस्त्राव, गर्भाशय की सूजन, गर्मी के कारण बार-बार होनेवाला गर्भपात व अल्पमुत्रता में आशातीत लाभदायी है |

ध्यान दें :

१)भूखे पेट, भोजन की शुरुवात व अंत में, धुप से आकर, शौच, व्यायाम या अधिक परिश्रम व फल खाने के तुरंत बाद पानी पीना निषिद्ध है |

२) अत्यम्बूपानान्न विपच्यतेन्नम अर्थात बहुत अधिक या एक साथ पानी पीने से पाचन बिगड़ता है | इसलिए मुहुर्मुहर्वारी पिबेदभूरी | बार-बार थोडा-थोडा पानी पीना चाहिए | (भावप्रकाश, पूर्व खंड: ५.१५७)

३) लेटकर, खड़े होकर पानी पीना तथा पानी पीकर तुरंत दौड़ना या परिश्रम करना हानिकारक है | बैठकर धीरे-धीरे चुस्की लेते हुए बायाँ स्वर सक्रिय हो तब पानी पीना चाहिए |

४) प्लास्टिक की बोतल में रखा हुआ, फ्रिज का या बर्फ मिलाया हुआ पानी हानिकारक है |

५) सामान्यत: १ व्यक्ति के लिए एक दिन में डेढ़ से दो लीटर पानी पर्याप्त है | देश-ऋतू-प्रकृति आदि के अनुसार यह मात्रा बदलती है |

-ऋषिप्रसाद – जून २०१४

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EBOLA VIRUS का अलर्ट
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इबोला वायरस’

इबोला क्या है?

इबोला वायरस डिसीज़ (ईवीडी) या इबोला रक्तस्रावी बुखार एक गंभीर बीमारी है जिससे मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। पूरी दुनिया में इस रोग से पीड़ित मरीजों में 90 प्रतिशत लोग काल के गाल में समा गए। यह बीमारी फिलोविरिदाए परिवार के जीनस इबोला वायरस की वजह से फैलती है। इसकी पांच उप-प्रजातियों की पहचान अब तक हो चुकी है जिनमें से चार वायरस से मनुष्य संक्रमित हो सकते हैं। ये चार हैं- बुंदीबगयो वायरस (बीडीबीवी), इबोला वायरस(ईबीओवी), सुदान वायरस (एसयूडीवी) और टाइ फॉरेस्ट वायरस (टीएएफवी)।

पांचवां वायरस, रेस्टन वायरस (RESTV), से मनुष्यों को रोग नहीं होता।

सबसे पहले यहां फैला:
1976 में पहली बार 2 स्थानों पर एकसाथ फैला। ये हैं- नजारा (सूडान) और यामबुकु (कांगो)। इसका नाम इबोला नदी (कांगो) के ऊपर रखा गया है।

इबोला वायरस एक विषाणु है:

यह वर्तमान में एक गंभीर बीमारी का रूप धारण कर चुका है। इस बीमारी में शरीर में नसों से खून बाहर आना शुरु हो जाता है, जिससे अंदरूनी ब्लीडिंग प्रारंभ हो जाती है यह एक अत्यंत घातक रोग है।इसमें 90% रोगियों की मृत्यु हो जाती है।

इस रोग की पहचान सर्वप्रथम सन 1976 में इबोला नदी के पास स्थित एक गाँव में की गई थी इसी कारण इसका नाम इबोला पडा

इबोला वायरस के लक्षण:

इबोला वायरस के लक्षण संक्रमित होने के बाद 2 से 21 दिन के बीच पाए जाते हैं। इबोला के सामान्य लक्षणों में-

1- बुखार
2- सिरदर्द
3- मांसपेशियों, पेट और जोड़ों में दर्द
4-गले में खराश
5- कमजोरी
6- डायरिया
7- उल्टी या कफ के साथ रक्त आना
8-सीने में दर्द
9-सांस लेने में तकलीफ
10-हिचकी
11-अंदर और शरीर के बाहर रक्त स्राव

रोग फैलने के कारण:
यह रोग पसीने और लार से फैलता है संक्रमित खून और मल के सीधे संपर्क में आने से भी यह फैलता है इसके अतिरिक्त, यौन संबंध और इबोला से संक्रमित शव को ठीक तरह से व्यवस्थित न करने से भी यह रोग हो सकता है यह संक्रामक रोग है

इबोला वायरस लक्षण
इबोला वायरस लक्षण

लक्षण:
इसके लक्षण हैं- उल्टी-दस्त, बुखार, सिरदर्द, ब्लीडिंग, आँखें लाल होना और गले में कफ़ अक्सर इसके लक्षण प्रकट होने में तीन सप्ताह तक का समय लग जाता है

रोग में शरीर को क्षति:
इस रोग में रोगी की त्वचा गलने लगती है यहाँ तक कि हाथ-पैर से लेकर पूरा शरीर गल जाता है ऐसे रोगी से दूर रह कर ही इस रोग से बचा जा सकता है

इबोला कैसे फैलता है
इबोला कैसे फैलता है

इबोला कैसे फैलता है:

यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है कि इबोला वायरस कैसे फैलता है। फिर भी ऐसा कहा जाता है कि जानवरों के शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ से संक्रमित होकर मनुष्यों में भी ये रोग हो सकता है।
इसके बाद खून के सम्पर्क और शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ की वजह से मनुष्यों में भी ये रोग फैलता है।

इससे संक्रमित पुरुषों के ठीक होने के बाद भी सात हफ्तों तक उनके वीर्य में इसका प्रभाव बना रहता है जिससे यौन संबंध बनाते वक्त महिला साथी भी इबोला से संक्रमित हो सकती है।

इबोला से मरने वाले व्यक्तियों की लाशों से भी यह रोग फैल सकता है।

कौन हो सकता है संक्रमित:

हेल्थ केयर वर्कर, जो इलाज के समय सुरक्षित कपड़े नहीं पहनते और मास्क नहीं लगाते वो मरीज़ों के सीधे संपर्क में आने के बाद इससे संक्रमित हो सकते हैं। इसी तरह मरीज के परिवारीजन भी उसके साथ उठने- बैठने से संक्रमित हो सकते हैं।

इबोला वायरस उपचार
इबोला वायरस उपचार

उपचार:
अभी इस बीमारी का कोई ईलाज नहीं है इसके लिए कोई दवा नहीं बनाई जा सकी है इसका कोई एंटी-वायरस भी नहीं है

इतना ख़तरनाक क्यों है इबोला ?

पश्चिम अफ़्रीकी देशों गिनी, सियेरा लियोन और नाइजीरिया में इबोला वायरस के संक्रमण के अब तक क़रीब 930 लोगों की मौत हो चुकी है. लाइबेरिया ने इस बीमारी के चलते आपातकाल घोषित कर दिया है.

ये लक्षण बीमारी की शुरुआत भर होते हैं. इसका अगला चरण है उल्टी होना, डायरिया और कुछ मामलों में अंदरूनी और बाहरी रक्तस्राव.

मनुष्यों में इसका संक्रमण संक्रमित जानवरों, जैसे, चिंपैंजी, चमगादड़ और हिरण आदि के सीधे संपर्क में आने से होता है.

संक्रमण:

एक दूसरे के बीच इसका संक्रमण संक्रमित रक्त, द्रव या अंगों के मार्फ़त होता है. यहां तक कि इबोला के शिकार व्यक्ति का अंतिम संस्कार भी ख़तरे से ख़ाली नहीं होता. शव को छूने से भी इसका संक्रमण हो सकता है.

बिना सावधानी के इलाज करने वाले चिकित्सकों को भी इससे संक्रमित होने का भारी ख़तरा रहता है.

संक्रमण के चरम तक पहुंचने में दो दिन से लेकर तीन सप्ताह तक का वक़्त लग सकता है और इसकी पहचान और भी मुश्किल है.

इबोला वायरसमें 90% रोगियों की मृत्यु हो जाती है।
इबोला वायरसमें 90% रोगियों की मृत्यु हो जाती है।

इससे संक्रमित व्यक्ति के ठीक हो जाने के सात सप्ताह तक संक्रमण का ख़तरा बना रहता है.

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक़, उष्णकटिबंधीय बरसाती जंगलों वाले मध्य और पश्चिम अफ़्रीका के दूरदराज़ गांवों में यह बीमारी फैली. पूर्वी अफ़्रीका की ओर कांगो, युगांडा और सूडान में भी इसका प्रसार हो रहा है.

तेज़ी से प्रसार:

पू्र्व की ओर बीमारी का प्रसार असामान्य है क्योंकि यह यह पश्चिम की ओर ही केंद्रित था और अब शहरी इलाक़ों को भी अपनी चपेट में ले रहा है.

इस बीमारी की शुरुआत गिनी के दूर दराज़ वाले इलाक़े ज़ेरेकोर में हुई थी.

इबोला वायरस का बाहरी असर.
इबोला वायरस का बाहरी असर.

बीमारी का प्रकोप देखते हुए स्वयंसेवी संस्था मेडिसिंस सैंस फ्रंटियर्स ने इसे ‘अभूतपूर्व’ बताया है.

डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी दिशा निर्देश के अनुसार, इबोला से पीड़ित रोगियों के शारीरिक द्रव और उनसे सीधे संपर्क से बचना चाहिए.

साथ ही साझा तौलिये के इस्तेमाल से बचना चाहिए क्योंकि यह सार्वजनिक स्थलों पर संक्रमित हो सकता है.

डब्ल्यूएचओ ने मुताबिक़ इलाज करने वालों को दस्ताने और मास्क पहनने चाहिए और समय-समय पर हाथ धोते रहना चाहिए.

इबोला वायरस
इबोला वायरस

चेतावनी:

चमगादड़, बंदर आदि से दूर रहना चाहिए और जंगली जानवरों का मांस खाने से बचना चाहिए.

Precautions
Precautions

रोकथाम:

इसके संक्रमण को निम्न सलाहों के द्वारा रोका जा सकता है-

-संक्रमित रक्त के संपर्क में आने से बचें और इससे संक्रमित मनुष्य के मृत शरीर के पास भी जाने से बचना चाहिए।

-सभी रोगियों को सावधानी रखनी चाहिए।

-डॉक्टर और परिजनों को हमेशा सुरक्षित कपड़े, मास्क, ग्लव्स और गाउन पहनकर ही मरीजों से मिलना चाहिए।

– हाथों को साबुन से धोना चाहिए।

-अपने आस-पास सफाई ज़रूर रखनी चाहिए।

-इबोला संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना चाहिए।

-इबोला वायरस से संक्रमित पशुओं या मुर्गी का मांस खाने से बचना चाहिए।

-इबोला संक्रमित शहरों या देशों में यात्रा नहीं करनी चाहिए।

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ओम का उच्चारण
ओम का उच्चारण

ॐ अर्थात् ओउम् तीन अक्षरों से बना है, जो सर्व विदित है । अ उ म् । “अ” का अर्थ है उत्पन्न होना, “उ” का तात्पर्य है उठना, उड़ना अर्थात् विकास, “म” का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् “ब्रह्मलीन” हो जाना। ॐ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है। ॐ का उच्चारण शारीरिक लाभ प्रदान करता है। जानें, ॐ कैसे है स्वास्थ्यवर्द्धक और अपनाएं आरोग्य के लिए मात्र ॐ के उच्चारण का मार्ग…
1, ॐ दूर करे तनावः अनेक बार ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है।
2. ॐ और घबराहटः अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं।
3. ॐ और तनावः यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है।
4. ॐ और खून का प्रवाहः यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है।
5. ॐ और पाचनः ॐ के उच्चारण से पाचन शक्ति तेज़ होती है।
6. ॐ लाए स्फूर्तिः इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।
7. ॐ और थकान: थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।
8. ॐ और नींदः नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चित नींद आएगी।
9. ॐ और फेफड़े: कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है।
10. ॐ और रीढ़ की हड्डी: ॐ के पहले शब्‍द का उच्‍चारण करने से कंपन पैदा होती है। इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है।
11. ॐ और थायरायडः ॐ के दूसरे अक्षर का उच्‍चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो कि थायरायड ग्रंथि पर प्रभाव डालता है।

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વાસ્તુદોષથી ભરેલું છે તમારું ઘર..?? મોટી તોડફોડ કર્યા વગર આ દોષ દૂર કરવાના ઉપાયો જાણો..!!!

श्री गृह वास्तुदोष निवारण यंत्र
श्री गृह वास्तुदोष निवारण यंत्र

કોઈ પણ વ્યક્તિ પોતાના ઘરમાં વાસ્તુદોષ રહે તેમ ઇચ્છતી નથી, પરંતુ ઘણી વાર ઘરનો વાસ્તુદોષ દૂર કરવો હોય તો મસમોટો ખર્ચ કરવો પડે છે. જેમને વાસ્તુદોષ દૂર કરવો છે અને તેના માટે વધારે ખર્ચ કરી શકે તેમ ન હોય તેઓ તોડફોડ કર્યા વગર પણ વાસ્તુદોષને દૂર કરી શકે છે. વિવિધ પ્રકારના દોષ અને ઉપાયો અહીં પ્રસ્તુત છે

  • શૌચાલયની દીવાલ પર શિકાર કરતા વાઘનું ચિત્ર ચોંટાડી શકાય. વાસ્તવમાં ઇશાન ખૂણામાં શૌચાલય હોવું એ ખૂબ જ અશુભ ફળદાયક છે
  • દોષ મકાન-ભવનની પૂર્વ દિશાનો ભાગ અન્ય દિશાઓ કરતાં ઊંચો હોય તો ટીવીનું એન્ટિના નૈઋત્ય ખૂણામાં લગાડી દેવું. જેની ઊંચાઈ ભવનના પૂર્વ અને ઉત્તર ભાગની દીવાલોથી વધુ હોય. એન્ટિનાના સ્થાને લોઢાની પાઇપ અથવા ઝંડો પણ રોપી શકાય.
  • મકાનના દક્ષિણ-પશ્ચિમ ભાગમાં મજબૂત વસ્તુઓ અને ઉત્તર-પૂર્વ ભાગમાં પોલાણવાળી વસ્તુઓ મૂકી દેવી જોઈએ.
  • મકાનમાં જો પૂર્વ-ઉત્તર ભાગમાં જગ્યા છોડયા વિના ઘરનું બાંધકામ થઈ ગયું હોય તો ઉત્તર દિશામાં ઉપરના માળનું નિર્માણ કરાવતી વખતે ઉત્તર અને પૂર્વ ભાગને ખાલી છોડી દેવો.
  • પૂર્વ અને ઉત્તર ભાગને ખાલી રાખવો એટલે કે ત્યાં કોઈ પણ પ્રકારનો માલ-સામાન મૂકવો નહીં.
  • જો મુખ્ય દ્વાર અગ્નિ ખૂણામાં હોય તો મુખ્ય દરવાજા પર લાલ રંગ કરવાથી અથવા દરવાજા પર લાલ રંગનો પડદો લગાવી દેવાથી દોષનું નિવારણ થઈ જાય છે.
  • દરવાજા પર બહારની તરફ સૂર્યનું ચિત્ર લગાવી દેવું. પૂર્વ કે અગ્નિ ખૂણામાં આવેલા દરવાજાને બંધ રાખવો.
  • ઇશાનોન્મુખ ભૂખંડની ઉત્તર દિશામાં ઊંચી ઇમારત અથવા મકાન હોય તો આ વાસ્તુદોષને દૂર કરવા માટે ઉત્તર દિશાવાળી ઊંચી ઇમારત અને ભવનની વચ્ચે એક માર્ગ બનાવી દેવો જોઈએ અર્થાત્ માર્ગ માટે ખાલી જગ્યા છોડી દેવી જોઈએ. તેનાથી ઊંચી ઇમારતના કારણે જે વેધ ઉત્પન્ન થઈ રહ્યો છે તેના અને ભૂખંડની વચ્ચે માર્ગ બની જવાથી વાસ્તુદોષ અથવા વેધદોષનું નિવારણ આપોઆપ જ થઈ જશે.
વાસ્તુ ટિપ્સ: वास्तु टिप्स
વાસ્તુ ટિપ્સ: वास्तु टिप्स
  • ઇશાનોન્મુખ ભૂખંડ પર પૂર્વ અને ઉત્તર દિશાની ચાર દીવાલથી અડીને તથા પશ્ચિમ અને દક્ષિણ દીવાલથી અડીને કોઈ મકાન કે બાંધકામ હોય તો આવી સ્થિતિમાં પૂર્વ અથવા ઉત્તર દિશા માટે નિર્માણનો ઓછામાં ઓછો ઉપયોગ કરવો અને આ ભાગને હંમેશાં સાફ ને શુદ્ધ રાખવો.
  • જો ઇશાન ખૂણામાં કૂડા-કચરાનો ઢગલો હોય તો ઇશાન ખૂણામાં રહેલા કચરાના ઢગલાને સાફ કરાવીને તે સ્થાન સ્વચ્છ અને પવિત્ર રાખવું.
  • ઇશાન ખૂણામાં રસોડું હોય તો રસોડાની અંદર ગેસના ચૂલાને અગ્નિ ખૂણામાં મૂકી દેવો અને રસોડાના ઇશાન ખૂણામાં જળ ભરીને રાખવું.
  • ઇશાન ખૂણામાં શૌચાલય હોય તો શૌચાલયનો ઉપયોગ બંધ કરી દેવો અથવા શૌચાલયની બહારની દીવાલ પર મોટા કદનું દર્પણ લગાવી દેવું.
ઘરના કરોળિયાના જાળા
ઘરના કરોળિયાના જાળા

સાફ કરો ઘરના કરોળિયાના જાળા નહીંતર નીકળશે ધનોતપનોત

કરોળિયાનાં જાળાં મોટેભાગે ઘર, ઓફિસ, દુકાન વગેરે જગ્યાઓ પર જોવા મળે છે. વિદ્વાનોના મતે વાસ્તુશાસ્ત્ર અને જ્યોતિષશાસ્ત્ર અનુસાર કરોળિયાનાં જાળાં અશુભ હોય છે. કરોળિયાનાં જાળાં તે ઘરમાં રહેનારાંઓની આર્થિક ઉન્નતિમાં બાધક બને છે, આર્થિક મુશ્કેલીઓ અનુભવાય છે અને સ્વાસ્થ્ય સંબંધી મુશ્કેલીઓ વધવાની શક્યતા પણ વધી જાય છે.

ઘર કે દુકાનમાં જોવા મળતાં જાળાંનો અર્થ એ છે કે ત્યાં યોગ્ય સાફસફાઈ થતી નથી. તે ભવનમાં નિવાસ કરનાર અથવા વ્યવસાય કરનારા લોકોને હંમેશાં ધનની ઊણપ વર્તાય છે. કરોળિયાનાં જાળાંની અશુભતાને કારણે વ્યક્તિ ભલે ગમે તેટલું ધન કમાય છતાં પણ તે બચત કરી શકતી નથી અને સતત તેની ઊણપ જ વર્તાય છે. આવક કરતાં ખર્ચ વધી જાય છે. ઘરમાં રોગ તથા ક્લેશ હંમેશા રહ્યા કરે છે.

કરોળિયાનાં જાળાંને દરિદ્રતાનું પ્રતીક માનવામાં આવે છે. જ્યાં આવાં જાળાં હોય ત્યાં લક્ષ્મી નિવાસ કરતી નથી અને જ્યાં ધનની દેવી લક્ષ્મીનો વાસ નથી ત્યાં હંમેશાં દુઃખ અને દરિદ્રતા વાસ કરે છે. શાસ્ત્રો કહે છે કે જે ઘર કે વ્યવસાયની જગ્યાએ નિયમિત રીતે સાફસફાઈ થતી રહે છે તે ઘરમાં લક્ષ્મીદેવીની કૃપા વરસે છે, તેથી ઘર, ઓફિસ, દુકાન વગેરે જગ્યાઓ પર જો કરોળિયાનાં જાળાં હોય તો તેને દૂર કરવાં જોઈએ. આ જાળાં દૂર કરવાથી ધીરે-ધીરે ઘરમાં ધનનું આગમન થવા લાગશે, ખર્ચ ઘટશે, બચત થશે અને આવક પણ વધશે.

એવું માનવામાં આવે છે કે કરોળિયાનાં જાળાં ખરાબ શક્તિઓ કે નકારાત્મક ઊર્જાને પોતાની તરફ આકર્ષે છે. જેથી ઘરમાં સકારાત્મક ઊર્જા ઘટે છે અને નકારાત્મક ઊર્જાનો પ્રભાવ વધવા લાગે છે. ઘરમાં રહેનારા લોકોના સ્વાસ્થ્ય પર ખરાબ પ્રભાવ પડવા લાગે છે, તેથી મકાનમાં કરોળિયો જાળાં બનાવે કે તરત જ તેને દૂર કરવાં જોઈએ. એક વાત યાદ રાખો કે દરેક શનિવાર અને અમાસના દિવસે ઘરની સંપૂર્ણ સાફસફાઈ કરવી લાભપ્રદ હોય છે. આ દિવસે ઘરમાં પડેલો જૂનો ભંગાર, પસ્તી કે નકામી વસ્તુઓનો નિકાલ કરવો જોઈએ.

બંધ ઘડિયાળ
બંધ ઘડિયાળ

વાસ્તુ ટિપ્સ: બેડરૂમમાં ક્યારેય બંધ ઘડિયાળ ન રાખો, કારણ કે….!

આપના બેડરૂમની સ્થિતિ આપનાં સ્વાસ્થ્ય અને સંપત્તિ પર અસર કરે છે. આપને નવાઈ લાગશે પણ જો વાસ્તુ ટિપ્સને ફોલો કરવામાં આવે તો આપનાં ઘણાં કષ્ટ દૂર થાય છે. તેથી જ ઘરની સાજસજાવટ માટે વાસ્તુ શાસ્ત્રનું ધ્યાન રાખવું ખુબ જરૂરી છે.

– જો આપનું ઘર બે ત્રણ માળનું હોય તો તમારો બેડરૂમ સૌથી ઉપરનાં માળ પર રાખો, તેનાંથી સુખ સમૃદ્ધિ વધે છે.
-સુતી વખતે આપનું માથુ પશ્ચિમ નહીં તો દક્ષિણ દિશામાં રાખો, તેનાંથી તમે સવારે ઉઠો ત્યારે આપનો ચહેરો પૂર્વ કે ઉત્તર દિશામાં રહેશે. જે શુભતા લાવે છે. ઉત્તરમાં કુબેરનો વાસ હોય છે. જે ધન અને સુખ લાવે છે.
-તમારા બેડરૂમની બહારની દીવાલ પર કોઈ જ પ્રકારની તિરાડ ન હોવી જોઈએ તે તમારા લગ્નજીવનમાં ઉથલ-પાથલ લાવી શકે છે.
-બેડરૂમમાં ક્યારેય બંધ ઘડિયાળ ન રાખો, તે તમારું નસિબ પણ આગળ વધતુ અટકાવી દે છે
-આપનો બેડ દક્ષિણ-પશ્ચિમ દિશા કે પશ્ચિમ દિશામાં રાખો તે સુખ અને સંપત્તિ લાવે છે.
-જો તમે વિદ્યાર્થી છો તો તમારા સુવાની દિશા પશ્ચિમ હોવી જોઈએ તે તમારી યાદશક્તિ વધારે છે.
-બેડરૂમમાં ડ્રેસિંગ ટેબલ બારીની નજીક ન રાખવું. તેમજ ક્યારેય અર્ધચંદ્રાકાર શેપનું ફર્નિચર ક્યારેય ન રાખો તે તમારા અને તમારા પાર્ટનરનાં સ્વાસ્થ્યની સમસ્યા રહે છે.
-આપનાં બેડરૂમમાં બાથરૂમ ઉત્તર કે પશ્ચિમ દિશામાં જ હોવું જોઈએ.
-બેડરૂમનો દક્ષિણ-પશ્ચિમ ખુણો ક્યારેય ખાલી ન રાખો.
-બેડરૂમમાં તીજોરી રાખવી હોય તો તેને દક્ષિણ દિશામાં મુકો, તમે દક્ષિણ-પશ્ચિમ ખુણામાં તે મુકી શકો છો. તેથી તેનો દ્વાર ઉત્તર તરફ ખુલશે અને તેથી કુબેરની નજર હમેશાં તેમારી તીજોરી પર રહેશે.
-પાણી, બુક્સ,ઘડિયાળ જેવો નાનો મોટ સામન બેડની ડાબી તરફ રાખો, એટલે કે આપ બેડની ડાબી બાજુ કોઈ ટેબલ મુકી શકો છો.
-બેડરૂમનાં દરવાજાને અડીને આપનો બેડ ન રાખો, તે જીવનમાં કલેશ લાવે છે.

રમાં ક્લેશ અશાંતિ: घर पे अशांति
રમાં ક્લેશ અશાંતિ: घर पे अशांति

શું તમારા ઘરમાં રોજ કકળાટ થાય છે..તો જલદી અપનાવો આ સરળ અને સહેલા ઉપાયો

વાસ્તુ શાસ્ત્ર મુજબ ઘરનુ મુખ્ય દરવાજો કેવો હોવો જોઈકે કે જેનાથી ઘરમાં સુખ શાંતિ અને સમૃદ્ધિનો વધારો થતો રહે. જેનુ જ્ઞાન અવશ્ય હોવુ જોઈએ. થોડીક અજ્ઞાનતાને કારણે વાસ્તુદોષ ઉત્પન્ન થાય છે અને ઘરમાં ક્લેશ અશાંતિ વગેરેનો વધારો થવા માંડે છે. એવુ ન થાય એની માહિતી અહી રજૂ કરી રહ્યા છીએ.

  • ઘરના દરવાજાની પાસે પાણી હોવુ ખૂબ જ મંગળકારી માનવામાં આવે છે. ઉત્તર પૂર્વ અને દક્ષિણ પૂર્વ દિશાની તરફ જો ઘરનો મુખ્ય દરવાજો છે અને ત્યા પાણી હોય તો અત્યંત શુભકારક હોય છે. દરવાજાની પાસે એક પાણીનુ પાત્ર સાવધાની પૂર્વક મુકી દેવુ હિતકારી છે.
  • પાણીથી ભરેલ પાત્રને દરવાજાની પાસે ફક્ત ડાબી બાજુ જ મુકો જેથે જ્યારે તમે ઘરમા ઉભા હોય અને બહારની તરફ જુઓ તો તે પાણી પાત્ર તમારા ડાબી બાજુ જ રહે. દરવાજાના જમણી બાજુ પાણી મુકવુ જોઈએ નહી. આનુ પરિણામ એ થાય છે કે ગૃહ સ્વામી કોઈ અન્ય મહિલા પ્રત્યે આકર્ષિત થઈ શકે છે.
  • ઝાડ જ્યા પણ ઉગતા હોય છે ત્યા તેનો છાયડો અને ઠંડક રહે છે. ઝાડ જો ફળવાળા હોય તો વધુ સારુ. પણ વાસ્તુશાસ્ત્ર મુજબ ઘરના મુખ્ય દરવાજા સામે વૃક્ષ હોવુ અશુભ માનવામાં આવે છે. વૃક્ષ હોવાને કારણે ગૃહસ્વામી મોટાભાગે બીમાર રહે છે અને તેના પર એક પછી કે મુસીબતો આવતી રહે છે. આ ઉપરાંત કોર્ટ કેસ પોલીસ કેસ સહિત અન્ય મુસીબતો પણ આવી શકે છે.
  • મકાનમાં દર વર્ષે કંઈને કઈ સુધારો, રંગકામ સફાઈ વગેરેનુ કામ કરાવવાનુ જ હોય છે. જો મકાનનો મુખ્ય દરવાજો અન્ય નિર્માણ કાર્યને કારણે અવરોધાય રહ્યો છે તો તે ફેંગશુઈ મુજબ ખરાબ માનવામાં આવે છે. તેના કારણે ગૃહ સ્વામીને હાર્ટએટેક પણ આવી શકે છે. કોઈપણ કારણથી મુખ્ય દરવાજાની સામે વાંસ કે દંડો ન ઠોકવો જોઈએ. જો આવુ કરવુ અત્યંત જરૂરી હોય તો દરવાજાની પાસે સાત સિક્કા દાટી દેવા જોઈએ તેનાથી દોષ મટી જાય છે.
  • ઘરના મુખ્ય દરવાજા સામે સીઢી કે લિફ્ટને ન લગાડવા જોઈએ. લિફ્ટ દરવાજો વારેઘડીએ ખોલાય છે અને બંધ થતો રહે છે. તેના પ્રભાવથી ગૃહ સ્વામીના ભાગ્ય અને ભવિષ્ય પર ખરાબ અસર પડે છે. જો આવુ હોય તો મુખ્ય દરવાજાની બહારની તરફથી અષ્ટકોણીય દર્પણ લગાવી દો. આ ઉપરાંત મુખ્ય દરવાજાના ઉંબરાને પણ થોડો ઉંચો કરી દેવો જોઈએ.
  • તારીખ અને વાર વગેરેની સાથે સાથે વ્રત તહેવાર વગેરે જોવા માટે કેલેંડરનો ઉપયોગ દરેક ઘરમાં થાય છે. કેલેંડરને કોઈપણ દરવાજાના આગળ કે પાછળ અથવા દરવાજાના રસ્તામાં ક્યારેય ન લટકાવુ જોઈએ. ફેંગશુઈ મુજબ દરવાજા પર કેલેંડર લટકાવવાથી ઘરના સભ્યોનુ આયુષ્ય ઘટે છે. મુખ્ય દરવાજા પર કેલેંડર લટકાવવુ વિશેષ રૂપે હાનિકારક અને દોષપૂર્ણ માનવામાં આવે છે. પ્રતિકાત્મક રૂપે તેનો અર્થ એ થાય છે કે તમારી જીંદગીના કેટલા દિવસ બાકી છે ? કેલેંડરને કોઈ અન્ય સ્થાન પર લટકાવી આ દોષને સુધારી શકાય છે.
  • ઘરના પ્રવેશ દ્વાર ઉપર એવા સ્થાન પર ગણપતિનુ ચિત્ર લગાડવુ જોઈએ જેનાથી દરવાજામાંથી નીકળતી વખતે ગણપતિનુ મોઢુ સામે હોય. દરવાજાની બહાર બંને બાજુ સ્વસ્તિકનુ નિશાન લાલ રંગથી બનાવી દેવુ શુભ હોય છે અને અવરોધો ઘરની અંદર પ્રવેશ નથી કરી શકતા.
  • મુખ્ય દરવાજાની બરોબર સામે ગાય-બળદ-ભેંસ-કૂતરો વગેરે કોઈપણ પાલતૂ પ્રાણી ન બાંધવા જોઈએ. આવુ થતા ઘરની અંદર શુભ સ્થિતિઓનો પ્રવેશ બંધ થઈ જાય છે. મુખ્ય દરવાજાની સામે પશુઓ બાંધવાથી ઘરની સ્ત્રીઓ પર કુપ્રભાવ પડે છે. ફેંગશુઈના મુજબ ઘરના મુખ્ય દરવાજાની સામે પોપટનું કે અન્ય પિંજરુ રાખવુ પણ હિતકારી નથી. પિંજરાને મુખ્ય દ્વારથી થોડુ હટાવીને મુકવુ જોઈએ.

આ રીતે કેટલીક વિધિયોને અપનાવીને ઘરની સુરક્ષા કરી શકાય છે અને અનેક અવરોધોથી દૂર રહી શકાય છે.

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અજમાવો આ સાવ સહેલાં ઉપાયો અને પહોંચી જાઓ સફળતાના શિખરો પર

પોતાનું મકાન હોય એવું સપનું દરેક વ્યક્તિનું હોય છે. જ્યાં તેઓ પોતાનું ઘર બનાવે છે એ સ્થાનનું વાતાવરણ પર્યાવરણની સ્થાયી અને અસ્થાયી રૂપે રહેનારા પર અસર પડે છે. જીવનને આનંદમય સુખી અને સમૃદ્ધ બનાવવા માટે આમ તો કોઈ નિશ્ચિત આયોજન નથી. પણ ક્યારેક ખૂબ વધુ પ્રયાસ કરવા પર પણ સફળતા પ્રાપ્ત થતી નથી. મનુષ્ય વાસ્તુના કેટલાક નિયમોને અપનાવીને સફળતાના શિખરને અડી શકે છે. વાસ્તુશાસ્ત્રનો ઉદ્દેશ્ય મનુષ્યને કલ્યાણ માર્ગમાં લગાવવાનો છે. આપણો એક નાનકડો પ્રયાસ એક નાનકડો ફેરફાર આપણા સંપુર્ણ જીવનનુ રૂપ પલટી શકે છે.

  • જે ઘરમાં ભગવત આરાધના થાય છે એ ઘરમાં સૂતેલા ભાગ્યને જાગૃત કરી શકાય છે.
  • ઘરના મુખ્ય દ્વાર પર ઘરની ગૃહલક્ષ્મી માંગલિક ચિન્હ બનાવો. ગણેશજી, માતા લક્ષ્મી અને ધનના દેવતા કુબેરજીના શ્રી રૂપ સ્થાપિત કરો. આવા ઘરમાં ઉપરના અવરોધોનો પ્રભાવ પડતો નથી અને સદા માટે સંકટોથી મુક્તિ મળે છે.
  • બેડરૂમમાં બેડ સામે અરીસો અથવા ડ્રેસિંગ ટેબલ ન મુકો. જો મજબુરીથી મુકવુ પડે એમ હોય તો કાયમ તેને ઢાંકીને મુકો. ફક્ત વાપરતી વખતે જ કપડુ હટાવી લો.
  • મુખ્ય દ્વાર સામે કચરો અને ગંદકી ન થવા દો. આનાથી ઘરમાં દરિદ્રતાનો પ્રવેશ થાય છે.
  • ઘરના મધ્યમાં બરામદો બનાવો તેમા તુલસીનો ચબુતરો બનાવી ઘરની ગૃહલક્ષ્મી સવાર સાંજ પૂજા આરાધના કરે. આવુ કરવાથી ઘરમાં ધનધાન્યની વૃદ્ધિ થાય છે.
  • મુખ્ય દ્વાર સામે વૃક્ષ, સ્તંભ અને કુવો અને જળના સ્ત્રોત રહેવાથી નકારાત્મકતા ફેલાય છે.
  • દક્ષિણ દિશામા રોશનદાન અથવા બારીઓ ન હોવી જોઈએ.
  • ઘરમાં બંધ ઘડિયાળ તૂટેલા કાંચ અને જૂની રદ્દીનો સામાન જમા કરીને ન મુકશો. અને ઘરમાં સામાનને અસ્ત વ્યસ્ત ન મુકશો. આનાથી નકારાત્મક શક્તિઓ પોતાનુ નિવાસ ત્યા જ સ્થાપિત કરી લે છે. સારુ રહેશે કે બિનજરૂરી વસ્તુઓને ઘરમાંથી બહાર કરતા રહો.
  • મુખ્ય દ્વાર ઉત્તરપૂર્વમાં હોવાથી શુભ્રતાનો સંચાર થાય છે. મુખ્ય દરવાજા સામે સીઢીયો અને કિચન ન બનાવો.
  • ઘરમાં જેટલી પણ બારીઓ હોય તેની સંખ્યા સમ રાખો અને સીડીયોની વિષમ.

સાભાર: સંદેશ.


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60 ઉપાયઃ દિવાળીમાં કરો કોઈ પાંચ ઉપાય, તમારી આવક ક્યારે નહીં ઘટે…!!!
પરીક્ષા, નોકરી અને રૂપિયા શેના વિશે જાણવું છે ભવિષ્ય?
માત્ર આ 5 ઉપાય કરશો તો, મળશે ચારેય તરફથી અપાર ધનલક્ષ્મી…!!!
મનગમતું ફળ અને ધન પામવા, વાર પ્રમાણે કરો આ ચમત્કારી ઉપાય…!!!
કોઈને બતાવ્યા વિના કરો 7 તાંત્રિક ઉપાય, તમે પણ થશો અબજોપતિ..!!!
ઘરનું ઘર જલ્દી લેવું છે? તો કરો આ સરળ અને નાના-નાના ઉપાય..!!
વાસ્તુદોષથી ભરેલું છે તમારું ઘર..?? મોટી તોડફોડ કર્યા વગર આ દોષ દૂર કરવાના ઉપાયો જાણો..!!!
તમને કઈ સમસ્યા સતાવી રહી છે? આ રહ્યા ઉપાયો…!!!
અહીં છે તમારી દરેક સમસ્યાનો ઉકેલ, માલામાલ બનશો કે નહીં?
હનુમાનજીને ચડાવો આવું પાન, પૂરી થશે બધી મનોકામના…!!
બહુ સરળ છે આ 9 ઉપાય, રોજ કરવાથી ચમકશે તમારી કિસ્મત..!!!
સોમ, મંગળ, બુધ….જે દિવસે જન્મ, એવો સ્વભાવ, જાણો ખાસ વાતો…!!!
જેવી તમારી જન્મ તારીખ એવા જ રોગ તમને થશે, આજે જ કરો ઈલાજ..!!
LAW OF ATTRACTION : अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो तो सारी कायनात उसे तुम से मिलाने में लग जाती है

ખાસ પ્રયોગ….!!! 15 દિવસમાં કેવા પણ સફેદ વાળ થશે પ્રાકૃતિક કાળા….

આજકાલની ફાસ્ટ લાઈફ કલ્ચરને કારણે વાળની યોગ્ય સારસંભાળ ન થવાને કારણે અને પ્રદૂષણને કારણે વાળ સફેદ થઈ જાય છે. વાળ ડાઈ કરવા અથવા કાળ કરવા આ સમસ્યાનું હલ નથી. કેટલાક ઘરેલૂ નુસખાની મદદથી પણ સફેદ વાળને કાળા કરી શકાય છે. પરંતુ લોકોને આ દેશી નુસખાઓની જાણ હોતી નથી અથવા તો લોકોને માર્કેટની અવનવી પ્રોડક્ટ્સ વાપરવાની ટેવ પડી ગઈ છે. પરંતુ જો વાળને નેચરલ કાળા અને સ્વસ્થ બનાવવા હોય તો તેની સંભાળ માટે યોગ્ય ધ્યાન અને કેટલાક ખાસ દેશી પ્રયોગ અને ઘરેલૂ નુસખાઓનો પયોગ કરી શકાય છે. જે સરળની સાથે સસ્તા પણ છે અને આ ઉપાય કરવાથી તમારા વાળને વારંવાર ડાઈ અને કલર કરવાની ઝંઝટમાંથી છુટકારો મળશે.

જેથી આજે અમે તમને બતાવીશું કેટલાક એવા જ સરળ ઘરેલૂ નુસખા જેની મદદથી તમે નાની ઉંમરમાં સફેદ થયેલા વાળને ફરીવાર કાળા બનાવી શકો છો.

આગળ જાણો તે ખાસ પ્રયોગ વિશે જે અજમાવી તમારા સફેદ વાળ થઈ જશે કાળા……..
-વાળને દેશી રીતે કાળા કરવા માટે કેટલાક ઘરેલૂ નુસખા આ પ્રકારે છે. જેમાં સૌથી પહેલાં સૂકા આમળાને પાણીમાં પલાળીને તેની પેસ્ટ બનાવી લો. આ પેસ્ટમાં એક ચમચી યુકેલિપ્ટસનું તેલ મિક્ષ કરવું. આ મિશ્રણને એક રાતમાં લોખંડના વાસણમાં રાખવું. સવારે તેમાં દહીં, લીંબૂનો રસ અને ઈંડુ મિક્ષ કરીને વાળમાં લગાવવું. 15 દિવસ સુધી આ પ્રયોગ કરવાથી સફેદ વાળ કાળા થવા લાગશે.

-આમળાનો રસ, બદામ તેલ, લીંબૂનો રસ મિક્ષ કરીને વાળના મૂળમાં લગાવવાથી વાળ ચમકીલા બને છે અને વાળ સફેદ થતાં નથી.

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-વાળમાં એલોવેરા જેલ લગાવવાથી પણ વાળ ખરતાં બંદ થઈ જાય છે અને નાની ઉંમરમાં વાળ સફેદ નથી થતાં અને સફેદ વાળ કાળા થઈ જાય છે.

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-દરરોજ સવારે એક કપ આમળાનો રસ પીવાથી લાંબી ઉંમર સુધી વાળ કાળા રહે છે.

-નાની ઉંમરમાં સફેદ વાળ થઈ ગયા હોય તો એક ગ્રામ કાળા મરી લઈને થોડા દહીંમાં મિક્ષ કરીને વાળમાં લગાવવાથી વાળ કાળા થવા લાગે છે.

-ગાયના દૂધનું માખણ લઈ હળવા હાથે વાળના મૂળમાં લગાવવાથી બહુ ઝડપથી ફાયદો થાય છે.

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-તમે તમારા ઘરમાં વડીલો દ્વારા વાળમાં દેશી ઘીની માલિશ કરતાં જોયા જ હશે. ઘીથી માથાની ત્વચાને પોષણ મળે છે. દરરોજ ઘીથી માથામાં માલિશ કરવાથી સફેદ વાળમાંથી છુટકારો મેળવી શકાય છે.

– બે ચમચી હિના પાઉડર, એક ચમચી દહીં, એક ચમચી મેથી, 3 ચમચી કોફી, બે ચમચી તુલસી પાઉડર અને 3 ચમચી ફુદીનાની પેસ્ટ મિક્ષ કરીને વાળમાં લગાવવી અને ત્રણ કલાક બાદ શેમ્પૂ કરી લેવું. આ પ્રયોગ કરવાથી નાની ઉંમરમાં સફેદ થઈ ગયેલા વાળ ફરી કાળા થઈ જશે.

-મેંદીમે નારિયેળ તેલમાં મિક્ષ કરીને પેસ્ટ બનાવી લેવો. આ પેસ્ટ વાળમાં લગાવવાથી વાળનો કલર ડાર્ક બ્રાઉન થઈ જશે અને સફેદ વાળથી છુટકારો મળશે. આ પ્રયોગ 15 દિવસ સુધી કરવો.

-22 ગ્રામ આમળા, 200 ગ્રામ ભાંગરો, 200 ગ્રામ સાકર, 200 ગ્રામ કાળા તલ આ બધાંનું ચૂર્ણ બનમાવી લેવું અને દરરોજ 10 ગ્રામની માત્રામાં દરરોજ લેવાથી સફેદ વાળની સમસ્યા દૂર થાય છે.

-વાળ ધોવા માટે લીંબૂનો રસ મિક્ષ કરેલા પાણીનો ઉપયોગ કરવાથી વાળ નેચરલ કાળા અને સ્વસ્થ બને છે.

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– નારિયેળ તેલમાં તાજા આમળાને એટલા ઉકાળવા કે તે કાળા થઈ જાય. આ મિશ્રણને ઠંડુ કરી રાત્રે સૂતી વખતે વાળમાં લગાવી સવારે વાળ ધોઈ લેવા આવું નિયમિત કરવાથી વાળ કાળા થઈ જાય છે.

– આદુ વાટીને તેમાં થોડું મધ મિક્ષ કરવું અને માથામાં લગાવવું. આ ઉપાય રોજ કરવાથી સફેદ વાળ કાળા થવા લાગે છે.

– વાળમાં રોજ સરસિયાનું તેલ લગાવવાથી વાળ હમેશાં કાળા રહે છે.

– નારિયેળ તેલમાં મીઠા લીમડાના પાન એ રીતે ઉકાળી લેવા કે પાન કાળા પડી જાય. આ તેલથી વાળના મૂળમાં માલિશ કરવાથી વાળ ભરાવદાર અને કાળા બને છે.
નારિયેળ તેલમાં લીંબૂનો રસ મિક્ષ કરીને રોજ વાળમાં લગાવવાથી વાળ કાળા થઈ જાય છે.

– આમળા અને કેરીની ગોટલીને પીસીને માથામાં લગાવવાથી વાળ કાળા થઈ જાય છે.

– વાળમાં લીમડાના તેલ અને રોઝ મેરીના તેલથી માલિશ કરવાથી વાળ કાળા થઈ જાય છે.

-ડુંગળીનું રસ કાઢી તેને વાળના મૂળમાં લગાવવાથી વાળ કાળા અને ભરાવદાર બમને છે.

– આમળાના રસમાં લીંબૂનો રસ મિક્ષ કરીને વાળમાં લગાવવાથી વાળ કાળા અને ચમકીલા બને છે.
તુરિયાને કટકા કરી તેને નારિયેળ તેલમાં કાળી થાય ત્યાં સુધી ઉકાલવું. ત્યારબાદ તેને ગાળીને બોટલમાં ભરી લેવું. દરરોજ આ તેલને વાળમાં લગાવવું. ધીરે-ધીરે વાળ કાળા થવા લાગશે.

– તલનું તેલ વાળ માટે ફાયદાકારક હોય છે. સાથે જ તેનું સેવન પણ લાભકારક હોય છે જેથી ભોજનમાં તલનો ઉપયોગ કરવો જોઈએ, જેથી વાળ લાંબા સમય સુધી કાળા રહે છે.

-માથું ધોવામાં શિકાકાઈ શેમ્પૂ અથવા માઈલ્ટ શેમ્પૂનો ઉપયોગ કરવો જોઈએ.

– એક કપ ચાનું પાણી ઉકાળી તેમાં એક ચમચી મીઠું નાખીને આ મિશ્રણ વાળ ધોવાના એક કલાક પહેલાં લગાવી દેવું. આવું નિયમિત કરવાથી વાળ કાળા થવા લાગે છે.

લગ્ન નથી થતાં? તો આટલું કરો…!!! યુવક અને યુવતીઓ માટેના અસરકારક ઉપાયો.

તમને ખબર છે તમારા પાર્ટનરની રાશિ? તો ક્લિક કરો, ખુલી જશે તેમના પ્રેમપ્રકરણના રાઝ

તમને કઈ સમસ્યા સતાવી રહી છે? આ રહ્યા ઉપાયો…!!!

इंडिया के टॉप हॉन्टेड प्लेस में है शामिल शनिवार वाडा फोर्ट (Shaniwar wada fort – one of the most haunted place of India)

शनिवार वाडा फोर्ट, महाराष्ट्र के पुणे में स्तिथ है। इस किले की नीव शनिवार के दिन रखी गई थी इसलिए इसका नाम शनिवार वाडा पड़ा। यह फोर्ट अपनी भव्यता और ऐतिहासिकता के लिए प्रसिद्ध है।  इसका निर्माण 18 वि शताब्दी में  मराठा साम्राज्य पर शासन करने वाले पेशवाओं ने करवाया था। यह किला 1818 तक पेशवाओं की प्रमुख गद्दी रहा था।  लेकिन इस किले के साथ एक काला अध्याय भी जुड़ा है। इस किले में 30 अगस्त 1773 की रात को 18 साल के  नारायण राव, जो की मात्र 16 साल की उम्र में मराठा साम्राज्य के पांचवे पेशवा बन थे, की षड्यंत्रपूर्वक ह्त्या कर दी गई थी। जब हत्यारे उसकी ह्त्या करने आये तो उसने ख़तरा भांप कर अपने काका (चाचा)  कक्ष की और “Kaka Mall Vachva” (Uncle Save Me) कहते हुए दौड़ लगाई पर बदकिस्मती  वहाँ पहुंचने से पहले मारा गया।  कहते है की किले में उसी बच्चे नारायण राव की आत्मा आज भी भटकती है और उसके द्वारा बोले गए आखिरी शब्द “काका माला वचाव” आज भी किले में सुनाई देते है। इसलिए इस किले को इंडिया के टॉप मोस्ट हॉन्टेड प्लेस  (Top most haunted place of India) में शामिल किया जाता है। आइये अब हम आपको इस किले के निर्माण से लेकर इस पर अंग्रेजो के अधिकार तक तथा नारायण राव की षड्यंत्रपूर्वक ह्त्या पर विस्तार से बताते है।

शनिवार वाडा फोर्ट (Image credit TripAdvisor)
शनिवार वाडा फोर्ट (Image credit TripAdvisor)

शनिवार वाडा फोर्ट का निर्माण :
इस किले की नींव पेशवा बाजीराव प्रथम ने 10 जनवरी 1730, शनिवार को रखी थी। इस किले का उदघाटन 22 जनवरी 1732 को किया गया था। हालांकि इसके बाद भी किले के अंदर कई इमारते और एक लोटस फाउंटेन का निर्माण हुआ था। शनिवार वाडा फोर्ट का निर्माण राजस्थान के ठेकेदारो ने किया था जिन्हे की काम पूर्ण होने के बाद पेशवा ने नाईक (Naik) की उपाधि से नवाज़ा था। इस किले में लगी टीक की लकड़ी जुन्नार (Junnar) के  जंगलो से, पत्थर चिंचवाड़ (Chinchwad) की खदानों से तथा चुना जेजुरी (Jejuri) की खदानों से लाया गया था। इस महल में 27 फ़रवरी 1828 को अज्ञात कारणों से भयंकर आग लगी थी।  आग को पूरी तरह बुझाने में सात दिन लग गए थे। इस से किले परिसर में बनी कई इमारते पूरी तरह नष्ट हो गई थी। उनके अब केवल अवशेष बचे है।  अब यदि हम इस किले की संरचना की बात करे तो किले में प्रवेश करने के लिए पांच दरवाज़े है।

शनिवार वाडा फोर्ट (Image credit TripAdvisor)
शनिवार वाडा फोर्ट (Image credit TripAdvisor)

1 . दिल्ली दरवाज़ा  Dilli Darwaza (Delhi Gate) :
यह इस किले का सबसे प्रमुख गेट है जो  उत्तर दिशा  दिल्ली  तरफ खुलता है इसलिए इसे दिल्ली दरवाज़ा कहते है। यह इतना ऊँचा और चौड़ा की है पालकी सहित हाथी आराम से आ जा सकते है। हमले के वक़्त हाथियों से इस गेट को बचाने लिए इस गेट के दोनों पलड़ो में 12 इंच लम्बे 72 नुकीले कीले लगे हुए है जो कि हाथी के माथे तक की ऊँचाई पर है। दरवाज़े के दाहिने पलड़े में एक छोटा सा गेट और है जो की सैनिको के आने जाने के काम आता था।

दिल्ली दरवाज़ा  Dilli Darwaza (Delhi Gate)  image credit: wikipedia
दिल्ली दरवाज़ा Dilli Darwaza (Delhi Gate) image credit: wikipedia

2. मस्तानी दरवाज़ा  Mastani Darwaja (Mastani’s Gate) or Aliibahadur Darwaja  :
यह दरवाज़ा दक्षिण दिशा की और खुलता है। बाजीराव  की पत्नी मस्तानी जब किले से बाहर जाती तो इस दरवाज़े का उपयोग करती थी।  इसलिए इसका नाम मस्तानी दरवाज़ा है। वैसे इसका एक और नाम अली बहादुर दरवाज़ा भी है।

3. खिड़की दरवाज़ा  Khidki Darwaja (Window Gate) :
यह दरवाज़ा पूर्व दिशा में खुलता है। इस दरवाज़े में खिड़की बनी हुई है इसलिए इसे खिड़की दरवाज़ा कहते है।

4. गणेश दरवाज़ा Ganesh Darwaja (Ganesh Gate) :
यह दरवाज़ा दक्षिण – पूर्व दिशा में खुलता है।  यह दरवाज़ा किला परिसर में स्थित गणेश रंग महल के पास स्थित है इसलिए इसे गणेश दरवाज़ा कहते है।

5. जंभूल दरवाज़ा या नारायण दरवाज़ा Jambhul Darwaja or Narayan Darwaja (Narayan’s Gate) :
ये दरवाज़ा दक्षिण दिशा में खुलता है। ये दरवाज़ा मुख्यतः दासियों के महल आने जाने के काम आता था। नारायण राव पेशवा की ह्त्या के बाद उसकी लाश के टुकड़ो को इसी रास्ते से किले के बाहर ले जाया गया था इसलिए इसे नारायण दरवाज़ा भी कहा जाता है।

Shaniwar Wada palace Narayan's Gate           Image Credit Wikipedia
Shaniwar Wada palace Narayan’s Gate Image Credit Wikipedia

अब यदि किले के अंदर की इमारतों की बात करे तो इस किले में मुख्यतः तीन महल थे और तीनो ही 1828 में लगी आग में नष्ट हो गए। अब केवल उनके अवशेष है। इसके अलावा किले में एक 7 मंजिला ऊंची इमारत भी थी जिसकी सबसे ऊंची चोटी से 17 किलो मीटर दूर, आलंदी में स्थ्ति संत ज्ञानेश्वर के मंदिर का शिखर दिखाई देता था। यह इमारत भी आग में नष्ट हो गई थी। अब किले में कुछ छोटी इमारते ही सही सलामत है।

Shaniwar Wada palace walls and ruins below     Image Credit Wikipedia
Shaniwar Wada palace walls and ruins below Image Credit Wikipedia

लोटस फाउंटेन (Lotus Fountain) :
इस किले मुख्य आकर्षण कमल की आकार का एक फाउंटेन (फव्वारा) है। जिसे की हज़ारी करंजे कहते है। लेकिन इस फाउंटेन से भी एक दुखद इतिहास जुड़ा है। इसमें गिरकर घायल होने से एक राजकुमार की मृत्यु हो गई थी।

Shaniwar Wada palace Lotus fountain      Image Credit Wikipedia
Shaniwar Wada palace Lotus fountain Image Credit Wikipedia

जुन 1818 में पेशवा बाजीराव द्वितीय ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सर जॉन मैलकम को यह गद्दी सौप दी और इस तरह पेशवाओ की शान रहे इस किले पर अंग्रेजो का अधिकार हो गया।

नारायण राव की हत्या :
पेशवा नाना साहेब के तीन पुत्र थे विशव राव, महादेव राव और नारायण राव।  सबसे बड़े पुत्र विशव राव पानीपत की तीसरी लड़ाई में मारे गए थे। नाना साहेब की मृत्यु के उपरान्त महादेव राव को गद्दी पर बैठाया गया। पानीपत की तीसरी  लड़ाई में महादेव राव पर ही रणनीति बनाने की पूरी जिम्मेदारी थी लेकिन उनकी बनाई हुई कुछ रणनीतियां बुरी तरह विफल रही थी फलस्वरूप इस युद्ध में मराठों की बुरी तरह हार हुई थी।  कहते है की इस युद्ध में मराठो के 70000 सैनिक मारे गए थे।  महादेव राव युद्ध में अपनी भाई की मृत्यु और मराठो की हार के लिए खुद को जिम्मेदार मानते थे।  जिसके कारण वो बहुत ज्यादा तनाव में रहते थे और इसी कारण गद्दी पर बैठने के कुछ दिनों बाद ही उनकी बिमारी से मृत्यु हो गई।

उनकी मृत्यु के पश्चात मात्र 16 साल की उम्र में नारायण राव पेशवा बने।  नाना साहेब के एक छोटे भाई रघुनाथ राव भी थे जिन्हे की सब राघोबा कहते थे। नारायण राव को पेशवा बनाने से काका (चाचा) राघोबा और काकी (चाची) अनादीबाई खुश नहीं थे। वो खुद पेशवा बनना चाहते थे उनको एक बालक का पेशवा बनना पसंद नहीं आ रहा था। दूसरी तरफ नारायण राव भी अपने काका को ख़ास पसंद नहीं करते थे क्योकि उन्हें लगता था की उनके काका ने एक बार उनके बड़े भाई महादेव राव की ह्त्या का प्रयास किया था।  इस तरह दोनों एक दूसरे को शक की नज़र से देखते थे।  हालात तब और भी विकट हो गए जब दोनों के सलाहकारों ने दोनों को एक दूसरे के विरुद्ध भड़काया। इसका परिणाम यह हुआ की नारायण राव ने अपने काका को घर में ही नज़रबंद करवा दिया।

इससे अनादि बाई और भी ज्यादा नाराज़ हो गई।  उधर राघोबा ने नारायण राव को काबू में करने का एक उपाय सोचा।  उनके साम्राज्य में ही भीलों का एक शिकारी कबीला रहता था जो की गार्दी (Gardi) कहलाते थे।  वो बहुत ही मारक लड़ाके थे। नारायण राव के साथ उनके सम्बन्ध खराब थे लेकिन राघोबा को वो पसंद करते थे।  इसी का फायदा उठाते हुए राघोबा ने उनके मुखिया सुमेर सिंह गार्दी को एक पत्र भेजा जिसमे उन्होंने लिखा ‘नारायण राव ला धारा’ जिसका मतलब था नारायण राव को बंदी बनाओ। लेकिन अनादि बाई को यहाँ एक खूबसूरत मौक़ा नज़र आया और उसने पत्र का एक अक्षर बदल दिया और कर दिया ‘नारायण राव ला मारा’  जिसका मतलब था नारायण राव को मार दो।

पत्र मिलते ही गार्दियों के एक समूह ने रात को घात लगाकर महल पर हमला कर दिया। वो रास्ते की हर बाधा को हटाते हुए नारायण राव के कक्ष की और बढे। जब नारायण राव ने देखा की गार्दी हथियार लेकर खून बहाते हुए उसकी तरफ आ रहे है तो वो अपनी जान बचाने के लिए अपने काका के कक्ष की और “काका माला वचाव” (काका मुझे बचाओ) कहते हुए भागा।  लेकिन वह पहुँचने से पहले ही वो पकड़ा गया और उसके टुकड़े टुकड़े कर दिए गए।

यहाँ पर इतिहासकारो में थोड़ा सा मतभेद है कुछ उस बात का समर्थन करते है जो की हमने ऊपर लिखी जबकि कुछ का कहना है की नारायण राव अपने काका के सामने अपनी जान बचाने की गुहार करता रहा पर उसके काका ने कुछ नहीं किया और गार्दी ने राघोबा की आँखों के सामने उसके टुकड़े टुकड़े कर दिए। लाश के टुकड़ो को बर्तन में भरकर रात को ही महल से बाहर ले जाकर नदी में बहा दिया गया।

कहते है की किले में उसी बच्चे नारायण राव की आत्मा आज भी भटकती है और उसके द्वारा बोले गए आखिरी शब्द “काका माला वचाव” आज भी किले में सुनाई देते है।

रात को रहता है भूत प्रेतों का डेरा…!!! हॉन्टेड विलेज “कुलधरा”(HAUNTED VILLAGE KULDHARA) – एक श्राप के कारण 170 सालों से हैं वीरान.

BHANGARH FORT – ALWAR – THE MOST HAUNTED PLACE OF INDIA (भानगढ़ का किला – अलवर – यह है भारत का मोस्ट हॉन्टेड किला )

SON DOONG CAVE – दुनिया की सबसे बड़ी गुफा (WORLD’S BIGGEST CAVE)

भारत के ख़यातनाम शायर मजरूह सुल्तानपुरी शायरी – पार्ट 3 (MAJROOH SULTANPURI SHAYARI)

Majrooh Sultanpuri (मजरूह सुल्तानपुरी)
Majrooh Sultanpuri (मजरूह सुल्तानपुरी)

सैर-ए-साहिल कर चुके ऐ मौज-ए-साहिल सर ना मार
तुझ से क्या बहलेंगे तूफानों के बहलाए हुए

Sair-e-sahil kar chuke ae mauj-e-sahil sar na mar
Tujh se kya bahalenge toofanon ke bahlaaye hue

*****
22

ग़म-ए-हयात* ने आवारा कर दिया वर्ना
थी आरजू तेरे दर पे सुबह ओ शाम करें

* ग़म-ए-हयात = ज़िन्दगी का ग़म

Gham-e-hayat ne aawara kar diya warna
Thi aarjoo tere dar pe subah o sham karein

*****
23

फरेब-ए-साकी-ए-महफ़िल* न पूछिए ‘मजरूह’
शराब एक है बदले हुए हैं पैमाने

Fareb-e-saki-e-mahfil na poonchiye ‘Majrooh’
Sharab ek hai badale hue hain paimane

* फरेब-ए-साकी-ए-महफ़िल = महफ़िल में शराब के प्याले पकड़ाने वाले का धोका

*****
24

‘मजरूह’ लिख रहे हैं वो अहल-ए-वफ़ा* का नाम
हम भी खड़े हुए हैं गुनहगार की तरह

* अहल-ए-वफ़ा = प्रेमी

Majrooh likh rahe hain wo ahal-e-wafa ka naam
Ham bhi khade hue hain gunhgaar ki tarah

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25

दुआ देती है राहें आज तक मुझ आबला-पा* को
मिरे कदमों की गुल-कारी* बयाबाँ* से चमन* तक है

* आबला-पा = थका हुआ यात्री
* गुल-कारी = फूलो की चित्रकला, आभूषण
* बयाबाँ = जंगल
* चमन = फूलों का बगीचा

Dua deti hain raahein aaj tak mujh aabala-pa ko
Mire kadamon ki gul-kari bayaban se chaman tak hai

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26

सुनते हैं की कांटे से गुल तक हैं राह में लाखों वीराने
कहता है मगर ये अज़्म-ए-जुनूँ* सहरा से गुलिस्ताँ दूर नहीं

* अज़्म-ए-जुनूँ = जूनून का दृढ़ संकल्प

Sunte hain ki kaante se gul tak hain raah mein laakhon veerane
Kahata hai magar ye ajm-e-junoon sahara se gulistan door nahin

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27

सुतून-ए-दार* पे रखते चलो सर के चराग
जहाँ तलक ये सितम* की सियाह* रात चले

* सुतून-ए-दार = फांसी के खम्भे
* सितम = जुल्म
* सियाह = काली

Sutoon-e-daar pe rakhte chalo sar ke charag
Jahan talak ye sitam ki siyaah raat chale

*****
28

वफ़ा के नाम पे तुम क्यूँ संभल के बैठ गए
तुम्हारी बात नहीं बात हैं ज़माने की

Wafa ke naam pe tum kyun sambhal ke baith gaye
Tumhari baat nahin baat hain jamane ki

भारत के ख़यातनाम शायर मजरूह सुल्तानपुरी शायरी – पार्ट 1 (MAJROOH SULTANPURI SHAYARI)
भारत के ख़यातनाम शायर मजरूह सुल्तानपुरी शायरी – पार्ट 2 (MAJROOH SULTANPURI SHAYARI)

 

भारत के ख़यातनाम शायर मजरूह सुल्तानपुरी शायरी – पार्ट 2 (Majrooh Sultanpuri Shayari)

Majrooh Sultanpuri (मजरूह सुल्तानपुरी)
Majrooh Sultanpuri (मजरूह सुल्तानपुरी)
Majrooh Sultanpuri (मजरूह सुल्तानपुरी)
(01/09/1919 – 24-05-2000)
 

11

तकदीर का शिकवा बेमानी, जीना ही तुझे मंजूर नहीं
आप अपना मुकद्दर बन न सके, इतना तो कोई मजबूर नहीं
 
Taqdir ka sikwa bemani, jeena hi tujhe manjoor nahin
Aap apna muqaddarban na sake, itna to koi majboor nahin
 

*****
12

मुझे सहल हो गई मंजिलें वो हवा के रुख भी बदल गये
तिरा हाथ, हाथ में आ गया कि चिराग राह में जल गये

 
Mujhe sahal ho gai manzilein wo hawa ke rukh bhi badal gaye
Tira hath, hath mein aa gaya ki chirag raah mein jal gaye
*****

13

रोक सकता हमें ज़िन्‍दाने* बला क्‍या ‘मजरूह’
हम तो आवाज़ हैं दीवारों से छन जाते हैं

* ज़िन्दान = जेल

Rok sakta hume zindane bala kya Majrooh
Hum to aawa hai deewaron se chan jate hain

 

*****
14

देख ज़िन्‍दां* के परे जोशे जुनूं, जोशे बहार
रक्‍स* करना है तो फिर पांव की ज़ंजीर ना देख

* रक़्स  =  नृत्य
* ज़िन्दान =  जेल

Dekh zinda ke pare joshe junoon, joshe bahaar
Raqs karna hai to phir paanv ki zanzeer na dekh

*****
15

जला के मशाल-ऐ-जाना, हम जुनूने सिफत* चले
जो घर को आग लगाए हमारे साथ चले

* सिफत =  गुण

Jala ke mashal-e-jana, hum junoone sifat chale
Jo ghar ko aag lagaye hamare sath chale

शेर 13, 14, और 15 मजरूह साहब ने आजादी के पहले जेल में रहते हुए लिखे थे।

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16

शबे इंतज़ार की कश्‍मकश ना पूछ कैसे सहर हुई
कभी एक चराग़ जला लिया, कभी एक चराग़ बुझा दिया

Shabe intezar ki kashmkash na poonch kaise sahar hui
Kabhi ek charag jala liya, kabhi ek charag bujha diya

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17

अलग बैठे थे फिर भी आँख साकी की पड़ी मुझ पर
अगर है तिश्नगी* कामिल* तो पैमाने* भी आयेंगे

तिश्नगी  =  प्यास, तृष्णा, अभिलाषा,
कामिल  =  पूरा, सम्पूर्ण, मुकम्मल
पैमाने  =  शराब का गिलास, पानपात्र

Alag baithe the phir bhi aankh saki ki padi mujh par
Agar hai tishnagi kamil to paimane bhi aayenge

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18

अब सोचते हैं लाएंगे तुझ सा कहाँ से हम
उठने को उठ तो आए तीरे आस्ताँ* से हम

* आस्ताँ  =  निवास स्थान, दहलीज़

Ab sochte hain layenge tujh sa kahan se ham
Uthane ko uth to aaye teere aastan se ham

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19

बहाने और भी होते जो ज़िन्दगी के लिए
हम एक बार तिरी आरजू भी खो देते

Bahane aur bhi hote jo zindagi ke liye
Ham ek baar tiri aarjoo bhi kho dete

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20

दस्त-ए-पुर-खूं  को कफ-ए-दस्त-ए-निगाराँ समझे
क़त्ल-गह थी जिसे हम महफ़िल-ए-याराँ समझे

Dast-e-poor-khoon ko kaf-e-dast-e-nigaran samjhe
qatl-gah thi jise ham mahfil-e-yaran samjhe

 

भारत के ख़यातनाम शायर मजरूह सुल्तानपुरी शायरी – पार्ट 1 (Majrooh Sultanpuri Shayari)

Majrooh Sultanpuri (मजरूह सुल्तानपुरी)
Majrooh Sultanpuri (मजरूह सुल्तानपुरी)
(01/09/1919 – 24-05-2000)
 
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1

मैं अकेला ही चला था जानिबे-मंजिल मगर
लोग आते गए और कारवां बनता गया
 
Main akela hi chala tha janibe-manzil magar
Log aate gaye aur kaarvan banta gaya
 
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2

बचा लिया मुझे तूफां की मौज ने वर्ना
किनारे वाले सफीना* मेरा डुबो देते
 
* सफीना – नाव
 
Bacha liya mujhe toofan ki mauj ne warna
Kinaare waale safeena mera dubo dete
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3

रहते थे कभी जिनके दिल में, हम जान से भी प्यारों की तरह
बैठे हैं उन्हीं के कूंचे में हम, आज गुनहगारों की तरह
 
Rehte the kabhi jinke dil mein, hum jaan se bhi pyaaron ki tarah
Baithe hain unhi ke koonche mein hum, aaj gunahgaaron ki tarah
 
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4

दुनिया करे सवाल तो हम क्या जवाब दें,
तुमको ना हो ख्याल तो हम क्या जवाब दें …
 
Duniya kare sawaal to hum kya jawaab dein
Tumko na ho khyaal to hum kya jawaab dein
 
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5

जफा* के जिक्र पर तुम क्यों संभलकर बैठ गए,
तुम्हारी बात नहीं, बात है जमाने की।
* जफा = जुल्म
 
Jawfa ke jikr par tum kyon sambhalkar baith gaye
Tumhari baat nahin, baat hai zamaane ki
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6

पहले सौ बार इधर और उधर देखा है
तब कहीं डर के तुम्हें एक बार देखा है
 
Pehale sau baar idhar aur udhar dekha hai
Tab kahin dar ke tunhen ek baar dekha hai
 
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7

क्या ग़लत है जो मैं दीवाना हुआ, सच कहना
मेरे महबूब को तुम ने भी अगर देखा है
 
Kya galat hai jo main deewana hua, sach kehana
Mere mahboob ko tum ne bhi agar dekha hai
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8

ये आग और नहीं दिल की आग है नादां
चिराग हो के न हो, जल बुझेंगे परवाने
 
Ye aag aur nahin dil ki aag hai naadan
Chiraag ho ke na ho, jal bujhenge parwaane
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9

शमा भी, उजाला भी मैं ही अपनी महफिल का
मैं ही अपनी मंजिल का राहबर भी, राही भी
 
Shama bhi, ujaala bhi main hi apni mehafil ka
Main hi apni manjil ka raahbar bhi, raahi bhi
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10

मिली जब उनसे नज़र, बस रहा था एक जहां
हटी निगाह तो चारों तरफ थे वीराने
 
Mili jab unse nazar, bas raha tha ik jahan
Hati nigaahe to chaaro taraf the veerane