આપણે નિયમિત ૪૦૦ થી ૨૦૦૦ મીલીની માત્રામાં મૂત્રત્યાગ કરીએ છીએ.
આપણી ત્વચાનું વજન ૪ કિગ્રા અને હરક્ષેત્ર ૧.૩-૧.૭ સ્કેવર મી.થી ઢંકાયેલું હોય છે.
શરીરમાં સમસ્ત ઊર્જાનો અડધો ભાગ ફક્ત માથા દ્રારા જ ખર્ચ થાય છે.
શ્વાસ રોકેલો રાખવાથી પણ મનુષ્યનું મૃત્યુ નથી થતું.
માનવ શરીરમાં આંખની પુતળીનો આકાર જન્મ થી લઇ મૃત્યુપર્યંત જેમનો તેમ રહે છે.
રક્તનો તરલ ભાગ પ્લાઝમા કહેવાય છે.
સામાન્ય રીતે વ્યક્તિના પ્રતિદિન ૨૫ થી ૧૨૫ વાળ ઊતરે છે.
આપણું દિલ એક મિનિટમાં ૭૦ વાર અને એક દિવસમાં એક લાખ થી પણ વધુ વાર ધડકે છે.
ગલગલિયાંના સંદેશો આપતા સ્નાયુ ૩૨૨ કિલોમીટર પ્રતિઘંટાની રફતારથી ચાલે છે.
આપણે એક જ દિવસમાં લગભગ ૨૦ હજાર વાર પાંપણ ઝપકાવીએ છીએ.
બે સેકન્ડમાં આવતી છીંકને નાક સુધી પહોંચવામાં ૧૬૦ કિમી પ્રતિકલાકની સફર તય કરવી પડે છે. તેની રફતાર એક ભાગતી ટ્રેનની ગતિના બરાબર હોય છે.
પ્રતિદિન લાખ મસ્તિષ્કની કોશિકાઓ ખર્ચાય છે. સૌભાગ્ય થી આપણી પાસ ૧૦૦ બિલિયન (એક અરબ) કોશિકાઓ હોય છ.
એક નિરોગી મનુષ્યના શરીરથી લગભગ સવા લિટર પરસેવો પ્રતિદિન નીકળી હવામાં ઊડી જાય છે.
આપણું મગજ દસ હજાર વિભિન્ન ગંધોને તેની અંદર સંગ્રહી શકે છે, તેને યાદ રાખી શકે છે અને તેને ઓળખી પણ શકે છે.
સૂતી વખતે આપણે સંપૂર્ણપણે નિંદ્રામાં હોઇએ છીએ, પરંતુ એ સાચું નથી. આઠ કલાકની નિંદ્રામાં ૬૦ ટકા તો આપણે કાચી ઊંઘમાં હોઇએ છીએ.૧૮ ટકા ઘેરી નિંદ્રા લઇએ છીએ તો ૨૦ ટકા સ્વપનાં જોવામાં કાઢી નાખીએ છીએ.
આપણા શરીરમાં એટલો કાર્બન હોય છે કે ૯૦૦ પેન્સિલ ભરાઇ જાય. એટલી વસા હોય છે કે ૭૫ મીણબત્તી બની શકે. અને એટલું ફોસ્ફરસ હોય છે કે ૨૨૦ માચીસની દીવાસળી બની શકે. એટલા માત્રામાં લોહતત્વ હોય છે કે તેમાંથી ૭.૫ મીટરની ખીલી બની શકે.
વિશ્વમાં સર્વાધિક માત્રામાં ૪૬ ટકા મળનારું બ્લડગુ્રપ ‘ઓ’ છે.
આપણું પેટ પ્રતિદિન ૨ લિટર હાઇડ્રોક્લોરિક એસિડ નિર્મિત કરે છે. આ એસિડ એટલું શક્તિશાળી હોય છે કે જેનાથી ધાતુ પણ પીગાળી શકાય છે. આમ છતાં તે પેટના બહારના પડને ખરાબ નથી કરતું.કારણકે પેટના પડ પર પાંચ લાખ કોશિકાઓ હોય છે જે પ્રતિમિનિટ બદલાય છે.
આપણે જે પણ ખાઇએ છીએ તેને પાંચ ભાગમાં વહેંચી શકાય છે. તે કાર્બોહાઇડ્રેટ,પ્રોટીન,વસા, વિટામિન અને લવણ છે.
પ્રોટીન શરીરની કોશિકાઓનો મુખ્ય પદાર્થ છે.
માનવ રક્તમાં શ્વેત રક્તકણિકાઓનો આકાર ૦.૭ મિલી મીટર હોય છે.
સાબિત થયેલું છે કે સૂતી વખતે આપણું મગજ ટેલિવિઝન જોવાની સરખામણીમાં વધુ સક્રિય હોય છે.
એક સામાન્ય માણસ જીવનમાં લગભગ ૬૦ હજાર પાઉન્ડ ખાવાનું આરોગે છે.
આપણું જમણું ફેફસું,ડાબા ફેંફસા કરતાં મોટું હોય છે. એનું કારણ હૃદયનું સ્થાન અને આકાર છે.
એક સામાન્ય વ્યક્તિ પોતાના સાઠ વરસના જીવનકાળમાં લગભગ એક લાખ કિલોમીટર જેટલું ચાલે છે.
માનવ જીવનમાં વધુ સમય સુધી જીવિત રહેનારી કોશિકા બેન કોશિકા છે તે જીવનપર્યંત જીવે છે.
आपने ” The Great Wall Of China ” के बारे में तो सुना ही होगा जो कि विशव कि सबसे बड़ी दीवार है पर क्या आपने विशव कि दूसरी सबसे लम्बी दीवार के बारे में सुना है जो कि भारत में स्थित है ?
यह है राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित कुम्भलगढ़ फोर्ट कि दीवार जो कि 36 किलोमीटर लम्बी तथा 15 फीट चौड़ी है। इस फोर्ट का निर्माण महाराणा कुम्भा ने करवाया था। यह दुर्ग समुद्रतल से करीब 1100 मीटर कि ऊचाईं पर स्थित है। इसका निर्माण सम्राट अशोक के दूसरे पुत्र सम्प्रति के बनाये दुर्ग के अवशेषो पर किया गया था। इस दुर्ग के पूर्ण निर्माण में 15 साल ( 1443-1458 ) लगे थे। दुर्ग का निर्माण पूर्ण होने पर महाराणा कुम्भ ने सिक्के बनवाये थे जिन पर दुर्ग और इसका नाम अंकित था।
दुर्ग कई घाटियों व पहाड़ियों को मिला कर बनाया गया है जिससे यह प्राकृतिक सुरक्षात्मक आधार पाकर अजेय रहा। इस दुर्ग में ऊँचे स्थानों पर महल,मंदिर व आवासीय इमारते बनायीं गई और समतल भूमि का उपयोग कृषि कार्य के लिए किया गया वही ढलान वाले भागो का उपयोग जलाशयों के लिए कर इस दुर्ग को यथासंभव स्वाबलंबी बनाया गया। इस दुर्ग के अंदर 360 से ज्यादा मंदिर हैं जिनमे से 300 प्राचीन जैन मंदिर तथा बाकि हिन्दू मंदिर हैं। इस दुर्ग के भीतर एक औरगढ़ है जिसे कटारगढ़ के नाम से जाना जाता है यह गढ़ सात विशाल द्वारों व सुद्रढ़ प्राचीरों से सुरक्षित है। इस गढ़ के शीर्ष भाग में बादल महल है व कुम्भा महल सबसे ऊपर है। महाराणा प्रताप की जन्म स्थली कुम्भलगढ़ एक तरह से मेवाड़ की संकटकालीन राजधानी रहा है। महाराणा कुम्भा से लेकर महाराणा राज सिंह के समय तक मेवाड़ पर हुए आक्रमणों के समय राजपरिवार इसी दुर्ग में रहा। यहीं पर पृथ्वीराज और महाराणा सांगा का बचपन बीता था। महाराणा उदय सिंह को भी पन्ना धाय ने इसी दुर्ग में छिपा कर पालन पोषण किया था। हल्दी घाटी के युद्ध में हार के बाद महाराणा प्रताप भी काफी समय तक इसी दुर्ग में रहे।
इसके निर्माण कि कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। 1443 में राणा कुम्भा ने इसका निर्माण शुरू करवाया पर निर्माण कार्य आगे नहीं बढ़ पाया, निर्माण कार्य में बहुत अड़चने आने लगी। राजा इस बात पर चिंतित हो गए और एक संत को बुलाया। संत ने बताया यह काम तभी आगे बढ़ेगा जब स्वेच्छा से कोई मानव बलि के लिए खुद को प्रस्तुत करे। राजा इस बात से चिंतित होकर सोचने लगे कि आखिर कौन इसके लिए आगे आएगा। तभी संत ने कहा कि वह खुद बलिदान के लिए तैयार है और इसके लिए राजा से आज्ञा मांगी।
संत ने कहा कि उसे पहाड़ी पर चलने दिया जाए और जहां वो रुके वहीं उसे मार दिया जाए और वहां एक देवी का मंदिर बनाया जाए। ठिक ऐसा ही हुआ और वह 36 किलोमीटर तक चलने के बाद रुक गया और उसका सिर धड़ से अलग कर दिया गया। जहां पर उसका सिर गिरा वहां मुख्य द्वार ” हनुमान पोल ” है और जहां पर उसका शरीर गिरा वहां दूसरा मुख्य द्वार है।
इस दुर्ग के बनने के बाद ही इस पर आक्रमण शुरू हो गए लेकिन एक बार को छोड़ कर ये दुर्ग प्राय: अजेय ही रहा है। उस बार भी दुर्ग में पीने का पानी खत्म हो गया था और दुर्ग को बहार से चार राजाओ कि सयुक्त सेना ने घेर रखा था यह थे मुग़ल शासक अकबर, आमेर के राजा मान सिंह , मेवार के राजा उदय सिंह और गुजरात के सुल्तान। लेकिन इस दुर्ग की कई दुखांत घटनाये भी है जिस महाराणा कुम्भा को कोई नहीं हरा सका वही परमवीर महाराणा कुम्भा इसी दुर्ग में अपने पुत्र उदय कर्ण द्वारा राज्य लिप्सा में मारे गए।
हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा से 30 किलो मीटर दूर स्तिथ है ज्वालामुखी देवी। ज्वालामुखी मंदिर को जोता वाली का मंदिर और नगरकोट भी कहा जाता है। ज्वालामुखी मंदिर को खोजने का श्रेय पांडवो को जाता है। इसकी गिनती माता के प्रमुख शक्ति पीठों में होती है। मान्यता है यहाँ देवी सती की जीभ गिरी थी। यह मंदिर माता के अन्य मंदिरों की तुलना में अनोखा है क्योंकि यहाँ पर किसी मूर्ति की पूजा नहीं होती है बल्कि पृथ्वी के गर्भ से निकल रही नौ ज्वालाओं की पूजा होती है। यहाँ पर पृथ्वी के गर्भ से नौ अलग अलग जगह से ज्वाला निकल रही है जिसके ऊपर ही मंदिर बना दिया गया हैं। इन नौ ज्योतियां को महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, अंजीदेवी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का प्राथमिक निमार्ण राजा भूमि चंद के करवाया था। बाद में महाराजा रणजीत सिंह और राजा संसारचंद ने 1835 में इस मंदिर का पूर्ण निमार्ण कराया।
अकबर और ध्यानु भगत की कथा :
इस जगह के बारे में एक कथा अकबर और माता के परम भक्त ध्यानु भगत से जुडी है। जिन दिनों भारत में मुगल सम्राट अकबर का शासन था,उन्हीं दिनों की यह घटना है। हिमाचल के नादौन ग्राम निवासी माता का एक सेवक धयानू भक्त एक हजार यात्रियों सहित माता के दर्शन के लिए जा रहा था। इतना बड़ा दल देखकर बादशाह के सिपाहियों ने चांदनी चौक दिल्ली मे उन्हें रोक लिया और अकबर के दरबार में ले जाकर ध्यानु भक्त को पेश किया।
बादशाह ने पूछा तुम इतने आदमियों को साथ लेकर कहां जा रहे हो। ध्यानू ने हाथ जोड़ कर उत्तर दिया मैं ज्वालामाई के दर्शन के लिए जा रहा हूं मेरे साथ जो लोग हैं, वह भी माता जी के भक्त हैं, और यात्रा पर जा रहे हैं।
अकबर ने सुनकर कहा यह ज्वालामाई कौन है ? और वहां जाने से क्या होगा? ध्यानू भक्त ने उत्तर दिया महाराज ज्वालामाई संसार का पालन करने वाली माता है। वे भक्तों के सच्चे ह्रदय से की गई प्राथनाएं स्वीकार करती हैं। उनका प्रताप ऐसा है उनके स्थान पर बिना तेल-बत्ती के ज्योति जलती रहती है। हम लोग प्रतिवर्ष उनके दर्शन जाते हैं।
अकबर ने कहा अगर तुम्हारी बंदगी पाक है तो देवी माता जरुर तुम्हारी इज्जत रखेगी। अगर वह तुम जैसे भक्तों का ख्याल न रखे तो फिर तुम्हारी इबादत का क्या फायदा? या तो वह देवी ही यकीन के काबिल नहीं, या फिर तुम्हारी इबादत झूठी है। इम्तहान के लिए हम तुम्हारे घोड़े की गर्दन अलग कर देते है, तुम अपनी देवी से कहकर उसे दोबारा जिन्दा करवा लेना। इस प्रकार घोड़े की गर्दन काट दी गई।
ध्यानू भक्त ने कोई उपाए न देखकर बादशाह से एक माह की अवधि तक घोड़े के सिर व धड़ को सुरक्षित रखने की प्रार्थना की। अकबर ने ध्यानू भक्त की बात मान ली और उसे यात्रा करने की अनुमति भी मिल गई।
बादशाह से विदा होकर ध्यानू भक्त अपने साथियों सहित माता के दरबार मे जा उपस्थित हुआ। स्नान-पूजन आदि करने के बाद रात भर जागरण किया। प्रात:काल आरती के समय हाथ जोड़ कर ध्यानू ने प्राथना की कि मातेश्वरी आप अन्तर्यामी हैं। बादशाह मेरी भक्ती की परीक्षा ले रहा है, मेरी लाज रखना, मेरे घोड़े को अपनी कृपा व शक्ति से जीवित कर देना। कहते है की अपने भक्त की लाज रखते हुए माँ ने घोड़े को फिर से ज़िंदा कर दिया।
यह सब कुछ देखकर बादशाह अकबर हैरान हो गया | उसने अपनी सेना बुलाई और खुद मंदिर की तरफ चल पड़ा | वहाँ पहुँच कर फिर उसके मन में शंका हुई | उसने अपनी सेना से मंदिर पूरे मंदिर में पानी डलवाया, लेकिन माता की ज्वाला बुझी नहीं।| तब जाकर उसे माँ की महिमा का यकीन हुआ और उसने सवा मन (पचास किलो) सोने का छतर चढ़ाया | लेकिन माता ने वह छतर कबूल नहीं किया और वह छतर गिर कर किसी अन्य पदार्थ में परिवर्तित हो गया |
आप आज भी वह बादशाह अकबर का छतर ज्वाला देवी के मंदिर में देख सकते हैं |
पास ही गोरख डिब्बी का चमत्कारिक स्थान :
मंदिर का मुख्य द्वार काफी सुंदर एव भव्य है। मंदिर में प्रवेश के साथ ही बाये हाथ पर अकबर नहर है। इस नहर को अकबर ने बनवाया था। उसने मंदिर में प्रज्जवलित ज्योतियों को बुझाने के लिए यह नहर बनवाया था। उसके आगे मंदिर का गर्भ द्वार है जिसके अंदर माता ज्योति के रूम में विराजमान है। थोडा ऊपर की ओर जाने पर गोरखनाथ का मंदिर है जिसे गोरख डिब्बी के नाम से जाना जाता है। कहते है की यहाँ गुरु गोरखनाथ जी पधारे थे और कई चमत्कार दिखाए थे। यहाँ पर आज भी एक पानी का कुण्ड है जो देख्नने मे खौलता हुआ लगता है पर वास्तव मे पानी ठंडा है। ज्वालाजी के पास ही में 4.5 कि.मी. की दूरी पर नगिनी माता का मंदिर है। इस मंदिर में जुलाई और अगस्त के माह में मेले का आयोजन किया जाता है। 5 कि.मी. कि दूरी पर रघुनाथ जी का मंदिर है जो राम, लक्ष्मण और सीता को समर्पि है। इस मंदिर का निर्माण पांडवो द्वारा कराया गया था। ज्वालामुखी मंदिर की चोटी पर सोने की परत चढी हुई है।
चमत्कारिक है ज्वाला :
पृत्वी के गर्भ से इस तरह की ज्वाला निकला वैसे कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि पृथ्वी की अंदरूनी हलचल के कारण पूरी दुनिया में कहीं ज्वाला कहीं गरम पानी निकलता रहता है। कहीं-कहीं तो बाकायदा पावर हाऊस भी बनाए गए हैं, जिनसे बिजली उत्पादित की जाती है। लेकिन यहाँ पर ज्वाला प्राकर्तिक न होकर चमत्कारिक है क्योंकि अंग्रेजी काल में अंग्रेजों ने अपनी तरफ से पूरा जोर लगा दिया कि जमीन के अन्दर से निकलती ‘ऊर्जा’ का इस्तेमाल किया जाए। लेकिन लाख कोशिश करने पर भी वे इस ‘ऊर्जा’ को नहीं ढूंढ पाए। वही अकबर लाख कोशिशों के बाद भी इसे बुझा न पाए। यह दोनों बाते यह सिद्ध करती है की यहां ज्वाला चमत्कारी रूप से ही निकलती है ना कि प्राकृतिक रूप से, नहीं तो आज यहां मंदिर की जगह मशीनें लगी होतीं और बिजली का उत्पादन होता।
यहां पहुंचे कैसे?
यहां पहुंचना बेहद आसान है। यह जगह वायु मार्ग, सड़क मार्ग और रेल मार्ग से अच्छी तरह जुडी हुई है।
वायु मार्ग
ज्वालाजी मंदिर जाने के लिए नजदीकी हवाई अड्डा गगल में है जो कि ज्वालाजी से 46 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यहा से मंदिर तक जाने के लिए कार व बस सुविधा उपलब्ध है।
रेल मार्ग
रेल मार्ग से जाने वाले यात्रि पठानकोट से चलने वाली स्पेशल ट्रेन की सहायता से मरांदा होते हुए पालमपुर आ सकते है। पालमपुर से मंदिर तक जाने के लिए बस व कार सुविधा उपलब्ध है।
सड़क मार्ग
पठानकोट, दिल्ली, शिमला आदि प्रमुख शहरो से ज्वालामुखी मंदिर तक जाने के लिए बस व कार सुविधा उपलब्ध है। यात्री अपने निजी वाहनो व हिमाचल प्रदेश टूरिज्म विभाग की बस के द्वारा भी वहा तक पहुंच सकते है। दिल्ली से ज्वालाजी के लिए दिल्ली परिवहन निगम की सीधी बस सुविधा भी उपलब्ध है।
हमारे देश भारत के कई शहर अपने दामन में कई रहस्यमयी घटनाओ को समेटे हुए है ऐसी ही एक घटना हैं राजस्थान के जैसलमेर जिले के कुलधरा(Kuldhara) गाँव कि, यह गांव पिछले 170 सालों से वीरान पड़ा हैं।कुलधरा(Kuldhara) गाँव के हज़ारों लोग एक ही रात मे इस गांव को खाली कर के चले गए थे और जाते जाते श्राप दे गए थे कि यहाँ फिर कभी कोई नहीं बस पायेगा। तब से गाँव वीरान पड़ा हैं।
तब्दील हो चुका है| टूरिस्ट प्लेस में बदल चुके कुलधरा गांव घूमने आने वालों के मुताबिक यहां रहने वाले पालीवाल ब्राह्मणों की आहट आज भी सुनाई देती है। उन्हें वहां हरपल ऐसा अनुभव होता है कि कोई आसपास चल रहा है। बाजार के चहल-पहल की आवाजें आती हैं, महिलाओं के बात करने उनकी चूडिय़ों और पायलों की आवाज हमेशा ही वहां के माहौल को भयावह बनाते हैं। प्रशासन ने इस गांव की सरहद पर एक फाटक बनवा दिया है जिसके पार दिन में तो सैलानी घूमने आते रहते हैं लेकिन रात में इस फाटक को पार करने की कोई हिम्मत नहीं करता हैं।
वैज्ञानिक तरीके से हुआ था गाँव का निर्माण
कुलधरा(Kuldhara) जैसलमेर से लगभग अठारह किलोमीटर की दूरी पर स्थिति है । पालीवाल समुदाय के इस इलाक़े में चौरासी गांव थे और यह उनमें से एक था । मेहनती और रईस पालीवाल ब्राम्हणों की कुलधार शाखा ने सन 1291 में तकरीबन छह सौ घरों वाले इस गांव को बसाया था। कुलधरा गाँव पूर्ण रूप से वैज्ञानिक तौर पर बना था। ईट पत्थर से बने इस गांव की बनावट ऐसी थी कि यहां कभी गर्मी का अहसास नहीं होता था। कहते हैं कि इस कोण में घर बनाए गये थे कि हवाएं सीधे घर के भीतर होकर गुज़रती थीं । कुलधरा के ये घर रेगिस्तान में भी वातानुकूलन का अहसास देते थे । इस जगह गर्मियों में तापमान 45 डिग्री रहता हैं पर आप यदि अब भी भरी गर्मी में इन वीरान पडे मकानो में जायेंगे तो आपको शीतलता का अनुभव होगा। गांव के तमाम घर झरोखों के ज़रिए आपस में जुड़े थे इसलिए एक सिरे वाले घर से दूसरे सिरे तक अपनी बात आसानी से पहुंचाई जा सकती थी । घरों के भीतर पानी के कुंड, ताक और सीढि़यां कमाल के हैं ।
पालीवाल ब्राम्हण होते हुए भी बहुत ही उद्यमी समुदाय था । अपनी बुद्धिमत्ता, अपने कौशल और अटूट परिश्रम के रहते पालीवालों ने धरती पर सोना उगाया था । हैरत की बात ये है कि पाली से कुलधरा आने के बाद पालीवालों ने रेगिस्तानी सरज़मीं के बीचोंबीच इस गांव को बसाते हुए खेती पर केंद्रित समाज की परिकल्पना की थी । रेगिस्तान में खेती । पालीवालों के समृद्धि का रहस्य था । जिप्सम की परत वाली ज़मीन को पहचानना और वहां पर बस जाना । पालीवाल अपनी वैज्ञानिक सोच, प्रयोगों और आधुनिकता की वजह से उस समय में भी इतनी तरक्की कर पाए थे ।
पालीवाल समुदाय आमतौर पर खेती और मवेशी पालने पर निर्भर रहता था । और बड़ी शान से जीता था । जिप्सम की परत बारिश के पानी को ज़मीन में अवशोषित होने से रोकती और इसी पानी से पालीवाल खेती करते । और ऐसी वैसी नहीं बल्कि जबर्दस्त फसल पैदा करते । पालीवालों के जल-प्रबंधन की इसी तकनीक ने थार रेगिस्तान को इंसानों और मवेशियों की आबादी या तादाद के हिसाब से दुनिया का सबसे सघन रेगिस्तान बनाया । पालीवालों ने ऐसी तकनीक विकसित की थी कि बारिश का पानी रेत में गुम नहीं होता था बल्कि एक खास गहराई पर जमा हो जाता था ।
कुलधरा के वीरान होने कि कहानी (Story of Kuldhara)
जो गाँव इतना विकसित था तो फिर क्या वजह रही कि वो गाँव रातों रात वीरान हो गया। इसकी वजह था गाँव का अय्याश दीवान सालम सिंह जिसकी गन्दी नज़र गाँव कि एक खूबसूरत लड़की पर पड़ गयी थी। दीवान उस लड़की के पीछे इस कदर पागल था कि बस किसी तरह से उसे पा लेना चाहता था। उसने इसके लिए ब्राह्मणों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। हद तो तब हो गई कि जब सत्ता के मद में चूर उस दीवान ने लड़की के घर संदेश भिजवाया कि यदि अगले पूर्णमासी तक उसे लड़की नहीं मिली तो वह गांव पर हमला करके लड़की को उठा ले जाएगा। गांववालों के लिए यह मुश्किल की घड़ी थी। उन्हें या तो गांव बचाना था या फिर अपनी बेटी। इस विषय पर निर्णय लेने के लिए सभी 84 गांव वाले एक मंदिर पर इकट्ठा हो गए और पंचायतों ने फैसला किया कि कुछ भी हो जाए अपनी लड़की उस दीवान को नहीं देंगे।
फिर क्या था, गांव वालों ने गांव खाली करने का निर्णय कर लिया और रातोंरात सभी 84 गांव आंखों से ओझल हो गए। जाते-जाते उन्होंने श्राप दिया कि आज के बाद इन घरों में कोई नहीं बस पाएगा। आज भी वहां की हालत वैसी ही है जैसी उस रात थी जब लोग इसे छोड़ कर गए थे।
आज भी है श्राप का असर:
पालीवाल ब्राह्मणों के श्राप का असर यहां आज भी देखा जा सकता है। जैसलमेर के स्थानीय निवासियों की मानें तो कुछ परिवारों ने इस जगह पर बसने की कोशिश की थी, लेकिन वह सफल नहीं हो सके। स्थानिय लोगों का तो यहां तक कहना है कि कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जो वहां गए जरूर लेकिन लौटकर नहीं आए। उनका क्या हुआ, वे कहां गए कोई नहीं जानता।
यहां के धरती में दबा है सोना इसलिए आते हैं पर्यटक:
पर्यटक यहां इस चाह में आते हैं कि उन्हें यहां दबा हुआ सोना मिल जाए। इतिहासकारों के मुताबिक पालीवाल ब्राह्मणों ने अपनी संपत्ति जिसमें भारी मात्रा में सोना-चांदी और हीरे-जवाहरात थे, उसे जमीन के अंदर दबा रखा था। यही वजह है कि जो कोई भी यहां आता है वह जगह-जगह खुदाई करने लग जाता है। इस उम्मीद से कि शायद वह सोना उनके हाथ लग जाए। यह गांव आज भी जगह-जगह से खुदा हुआ मिलता है।
पेरानार्मल सोसायटी की टीम ने कि कुलधरा में पड़ताल :-
मई 2013 मे दिल्ली से आई भूत प्रेत व आत्माओं पर रिसर्च करने वाली पेरानार्मल सोसायटी की टीम ने कुलधरा(Kuldhara) गांव में बिताई रात। टीम ने माना कि यहां कुछ न कुछ असामान्य जरूर है। टीम के एक सदस्य ने बताया कि विजिट के दौरान रात में कई बार मैंने महसूस किया कि किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा, जब मुड़कर देखा तो वहां कोई नहीं था। पेरानॉर्मल सोसायटी के उपाध्यक्ष अंशुल शर्मा ने बताया था कि हमारे पास एक डिवाइस है जिसका नाम गोस्ट बॉक्स है। इसके माध्यम से हम ऐसी जगहों पर रहने वाली आत्माओं से सवाल पूछते हैं। कुलधरा में भी ऐसा ही किया जहां कुछ आवाजें आई तो कहीं असामान्य रूप से आत्माओं ने अपने नाम भी बताए। शनिवार चार मई की रात्रि में जो टीम कुलधरा गई थी उनकी गाडिय़ों पर बच्चों के हाथ के निशान मिले। टीम के सदस्य जब कुलधरा गांव में घूमकर वापस लौटे तो उनकी गाडिय़ों के कांच पर बच्चों के पंजे के निशान दिखाई दिए। (जैसा कि कुलधरा(Kuldhara) गई टीम के सदस्यों ने मीडिया को बताया )
दोस्तों आपने “Om Shanti Om” का ये dialogue “अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो तो सारी कायनात उसे तुम से मिलाने में लग जाती है” ज़रूर सुना होगा. इसी को सिद्धांत के रूप में Law of Attraction कहा जाता है. ये वो सिद्धांत है जो कहता है कि आपकी सोच हकीकत बनती है. Thoughts become things. For example: अगर आप सोचते हैं की आपके पास बहुत पैसा है तो सचमुच आपके पास बहुत पैसा हो जाता है, यदि आप सोचते हैं कि मैं हमेशा गरीबी में ही जीता रह जाऊंगा, तो ये भी सच हो जाता है.
शायद सुनने में अजीब लगे पर ये एक सार्वभौमिक सत्य है. A Universal Truth. यानि हम अपनी सोच के दम पर जो चाहे वो बन सकते हैं. और ये कोई नयी खोज नहीं है भगवान् बुद्ध ने भी कहा है “हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है. ” स्वामी विवेकानंद ने भी यही बात इन शब्दों में कही है ” हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का धयान रखिये कि आप क्या सोचते हैं. शब्द गौण हैं. विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं.”
पर इतनी बड़ी बात को इतनी आसानी से मान लेना बहुत कठिन है. आपके मन में इसे लेकर कई तरह के सवाल उठ सकते हैं. और आज AchhiKhabar.Com पर हम कुछ इसी तरह के सवालों का समाधान जानने की कोशिश करेंगे. आज का ये लेख इस विषय पर सबसे ज्यादा पढ़े गए लेखों में से एक “ The Law of Attraction” का Hindi Translation है. इसे Steve Pavlina ने लिखा है.
THE LAW OF ATTRACTION
आकर्षण का सिद्धांत
The Law of Attraction या आकर्षण का सिद्धांत यह कहता है कि आप अपने जीवन में उस चीज को आकर्षित करते हैं जिसके बारे में आप सोचते हैं . आपकी प्रबल सोच हकीक़त बनने का कोई ना कोई रास्ता निकाल लेती है . लेकिन Law of Attraction कुछ ऐसे प्रश्नों को जन्म देता है जिसके उत्तर आसान नहीं हैं .पर मेरा मानना है कि problem Law of Attraction कि वजह से नहीं है बल्कि इससे है कि Law of Attraction को objective reality (वस्तुनिष्ठ वास्तविकता ) में कैसे apply करते हैं .
यहाँ ऐसे ही कुछ problematic questions दिए गए हैं ( ये उन questions का generalization हैं जो मुझे email द्वारा मिले हैं )
क्या होता है जब लोगों की intention (इरादा,सोच,विचार,उद्देश्य) conflict करती है ,जैसे कि दो लोग एक ही promotion के बारे में सोचते हैं , जबकि एक ही जगह खाली है ?
क्या छोटे बच्चों , या जानवरों की भी intentions काम करती है ?
अगर किसी बच्चे के साथ दुष्कर्म होता है तो क्या इसका मतलब है कि उसने ऐसा इरादा किया था ?
अगर मैं अपनी relation अच्छा करना चाहता हूँ लेकिन मेरा / मेरी spouse इसपर ध्यान नहीं देती , तो क्या होगा ?
ये प्रश्न Law of Attraction की possibility को कमज़ोर बनाते हैं .कभी – कभार Law of Attraction में विश्वास करने वाले लोग इसे justify करने के लिए कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ जाते हैं . For Exapmle, वो कहते हैं कि बच्चे के साथ दुष्कर्म इसलिए हुआ क्योंकि उसने इसके बारे में अपने पिछले जनम में सोचा था . भाई , ऐसे तो हम किसी भी चीज को explain कर सकते हैं , पर मेरी नज़र में तो ये तो जान छुड़ाने वाली बात हुई .
मैं औरों द्वारा दिए गए इन प्रश्नों के उत्तर से कभी भी satisfy नहीं हुआ , और यदि Law of Attraction में विश्वास करना है तो इनके उत्तर जानना महत्त्वपूर्ण है .कुछ books इनका उत्तर देने का प्रयास ज़रूर करती हैं पर संतोषजनक जवाब नहीं दे पातीं . पर subjective reality (व्यक्ति – निष्ठ वास्तविकता )के concept में इसका सही उत्तर ढूँढा जा सकता है .
Subjective Reality एक belief system (विश्वास प्रणाली) है जिसमे
(1) सिर्फ एक consciousness (चेतना) है ,
(2) आप ही वो consciousness हैं ,
(3) हर एक चीज , हर एक व्यक्ति, जो वास्तविकता में है वो आप ही की सोच का परिणाम है .
शायद आप को आसानी से दिखाई ना दे पर subjective reality Law of Attraction के सभी tricky questions का बड़ी सफाई से answer देती है . मैं explain करता हूँ ….
Subjective reality में केवल एक consciousness होती है – आपकी consciousness. इसलिए पूरे ब्रह्माण्ड में intentions का एक ही श्रोत होता है -आप . आप भले ही वास्तविकता में तमाम लोगों को आते-जाते, बात करते देखें , वो सभी आपकी consciousness के भीतर exist करते हैं. आप जानते हैं कि आपके सपने इसी तरह काम करते हैं,पर आप ये नहीं realize करते की आपकी waking reality एक तरह का सपना ही है. वो सिर्फ इसलिए सच लगता है क्योंकि आप विश्वास करते हैं कि वो सच है.
चूँकि और कोई भी जिससे आप मिलते हैं वो आपके सपने का हिस्सा हैं, आपके अलावा किसी और की कोई intention नहीं हो सकती.सिर्फ आप ही की intentions हैं. पूरे Universe में आप अकेले सोचने वाले व्यक्ति हैं.
यह ज़रूरी है कि subjective reality में “आप” को अच्छे से define किया जाये . “आप” आपका शरीर नहीं है. “आप” आपका अहम नहीं है. मैं यह नहीं कह रहा हूँ की आप एक conscious body हैं जो unconscious मशीनों के बीच घूम रहे हैं. यह तो subjective reality की समझ के बिलकुल उलट है. सही viewpoint यह है कि आप एक अकेली consciousness हैं जिसमे सारी वास्तविकता घट रही है.
Imagine करिए की आप कोई सपना देख रहे हैं. उस सपने में आप वास्तव में क्या हैं ? क्या आप वही हैं जो आप खुद को सपने में देख रहे हैं? नहीं, बिलकुल नहीं , वो तो आपके सपने का अवतार है. आप तो सपना देखने वाला व्यक्ति हैं.पूरा सपना आपकी consciousness में होता है. सपने के सारे किरदार आपकी सोच का परिणाम हैं, including आपका खुद का अवतार. दरअसल , यदि आप lucid dreaming सीख लें तो आप आपने सपने में ही अपने अवतार बदल सकते हैं. Lucid dreaming में आप वो हर एक चीज कर सकते हैं जिसको कर सकने में आपका यकीन हैं.
Physical reality इसी तरह से काम करती है. यह ब्रह्माण्ड आप के सपने के ब्रह्माण्ड की तुलना में कहीं घना है, इसलिए यहाँ बदलाव धीरे-धीरे होता है. पर यह reality भी आपके विचारों के अनुरूप होती है, ठीक वैसे ही जैसे आपके सपने आपके सोच के अनुरूप होते है. “आप” वो dreamer हैं जिसके सपने में यह सब घटित हो रहा है. कहने का मतलब; यह एक भ्रम है कि और लोगों कि intentions है, वो तो बस आपकी सोच का परिणाम हैं.
Of course, यदि आप बहुत strongly believe करते हैं कि औरों की intentions हैं, तो आप अपने लिए ऐसा ही सपना बुनेंगे.पर ultimately वो एक भ्रम है.
तो आइये देखते हैं कि Subjective Reality कैसे Law of Attraction के कठिन प्रश्नों का उत्तर देती है:
क्या होता है जब लोगों की intention (इरादा,सोच,विचार,उद्देश्य) conflict करती है ,जैसे कि दो लोग एक ही promotion के बारे में सोचते हैं , जबकि एक ही जगह खाली है ?
चूँकि आप अकेले ही ऐसे व्यक्ति हैं जिसकी intentions हैं, ये महज एक internal conflict है – आपके भीतर का . आप खुद उस thought(intention) को जन्म दे रहे हैं कि दोनों व्यक्ति एक ही position चाहते हैं . लेकिन आप ये भी सोच रहे हैं (intending) कि एक ही व्यक्ति को यह position मिल सकती है. .यानि आप competition intend कर रहे हैं. यह पूरी situation आप ही की creation है. आप competition में believe करते हैं, इसलिए आपके जीवन में वही घटता है. शायद आपकी पहले se ही कुछ belief है (thoughts and intentions) कि किसको promotion मिलेगी , ऐसे में आपकी उम्मीद हकीकत बनेगी. पर शायद आप की ये belief हो कि life unfair है uncertain है , तो ऐसे में आपको कोई surprise मिल सकता है क्योंकि आप वही intend कर रहे हैं .
अपने यथार्थ में एक अकेला Intender होना आपके कंधे पर एक भारी जिम्मेदारी डालता है . आप ये सोच कर की दुनिया अनिश्चित है unfair है , आदि , अपनी reality का control छोड़ सकते हैं , पर आप अपनी जिम्मेदारी नहीं छोड़ सकते हैं . आप इस Universe के एक मात्र रचियता हैं . यदि आप युद्ध , गरीबी , बिमारी , इत्यादि के बारे में सोचेंगे तो आपको यही देखने को मिलेगा . यदि आप शांती , प्रेम , ख़ुशी के बारे में सोचेंगे तो आपको ये सब हकीकत में होते हुए दिखेगा . आप जब भी किसी चीज के बारे में सोचते हैं तो , तो दरअसल उस सोच को वास्तविकता में प्रकट होने का आह्वान करते हैं.
क्या छोटे बच्चों , या जानवरों की भी intentions काम करती है ?
नहीं , यहाँ तक की आपके शरीर की भी कोई intention नहीं होती है —सिर्फ आपके consciousness की intentions होती हैं . आप अकेले हैं जिसकी intentions हैं , इसलिए वो होता है जो आप बच्चे या जानवरों के लिए सोचते हैं . हर एक सोच एक intention है , तो आप जैसे भी उनके बारे में सोचेंगे यथार्थ में उनके साथ वैसा ही होगा . ये धयन में रखिये की beliefs hierarchical (अधिक्रमिक) हैं , इसलिए यदि आपकी ये belief की वास्तविकता अनिश्चित है , uncontrollable है ज्यादा शशक्त है तो ये आपकी अन्य beliefs, जिसमे आपको कम यकीन है , को दबा देंगी . आपके सभी विचारों का संग्रह ये तय करता है की आपको हकीकत में क्या दिखाई देगा .
अगर किसी बच्चे के साथ दुष्कर्म होता है तो क्या इसका मतलब है कि उसने ऐसा इरादा किया था ?
नहीं . इसका मतलब है की आपने ऐसा intend किया था . आप child abuse के बारे में सोच कर उससे वास्तविकता में होने के लिए intend करते हैं .आप जितना ही child abuse के बारे में सोचेंगे ( या किसी और चीज के बारे में ) उतना ही हकीकत में आप उसका विस्तार देखेंगे . आप जिस बारे में भी सोचते हैं उसका विस्तार होता है , और वो बस आप तक ही सीमित नहीं होता बल्की पूरे ब्रह्माण्ड में ऐसा होता है .
अगर मैं अपनी relation अच्छा करना चाहता हूँ लेकिन मेरा / मेरी spouse इसपर ध्यान नहीं देती , तो क्या होगा ?
यह intending conflict का एक और उदाहरण है . आप एक intention अपने अवतार की कर रहे हैं और एक अपने spouse की , तो जो actual intention पैदा होती है वो conflict की होती है . इसलिए आप जो experience करते हैं , depending on your higher order beliefs, वो आपके spouse के साथ आपका conflict होता है . अगर आपकी thoughts conflicted हैं तो आपकी reality भी conflicted होगी .
इसीलिए अपने विचारों की जिम्मेदारी लेना इतना महत्त्वपूर्ण है . यदि आप दुनिया में शांती देखना चाहते हैं तो अपनी reality में हर एक चीज के लिए शांती intend कीजिये . यदि आप loving relationship enjoy करना चाहते हैं तो सभी के लिए loving relationships intend कीजिये . यदि आप ऐसा सिर्फ अपने लिए ही intend करते हैं और दूसरों के लिए नहीं तो इसका मतलब है की आप conflict, division, separation intend कर रहे हैं , और as a result आप यही experience करेंगे .
अगर आप किसी चीज के बारे में बिलकुल ही सोचना छोड़ देंगे तो क्या वो गायब हो जाएगी ? हाँ , technically वो गायब हो जाएगी . लेकिन practically आप जिस चीज को create कर चुके हैं उसे uncreate करना लगभग असंभव है . आप उन्ही समस्यों पर focus कर के उन्हें बढाते जायेंगे . पर जब आप अभी जो कुछ भी वास्तविकता में अनुभव कर रहे हैं उसके लिए खुद को 100 % responsible मानेंगे तो आप में वो शक्ति आ जाएगी जिससे आप अपने विचारों को बदलकर अपनी वास्तविकता को बदल सकते हैं .
ये सारी वास्तविकता आप ही की बनाई हुई है . उसके बारे में अच्छा feel करिए . विश्व की richness के लिए grateful रहिये . और फिर अपने decisions और intentions से उस reality का निर्माण करना शुरू कीजिये जो आप सच -मुच चाहते हैं .उस बारे में सोचिये जिसकी आप इच्छा रखते हैं , और जो आप नहीं चाहते हैं उससे अपना ध्यान हटाइए . ये करने का सबसे आसान और natural तरीका है अपने emotions पर ध्यान देना . अपनी इच्छाओं के बारे में सोचना आपको खुश करता है और जो आप नहीं चाहते हैं उस बारे में सोचना आपको बुरा feel कराता है . जब आप notice करें की आप बुरा feel कर रहे हैं तो समझ जाइये की आप किसी ऐसी चीज के बारे में सोच रहे हैं जो आप नहीं चाहते हैं . वापस अपना focus उस तरफ ले जाइये जो आप चाहते हैं , आपकी emotional state बड़ी तेजी से improve होगी . जब आप बार बार ऐसा करने लगेंगे तब आपको अपनी physical reality में भी बदलाव आना नज़र आएगा , पहले धीरे -धीरे और बाद में बड़ी तेजी से .
मैं भी आपकी consciousness का ही परिणाम हूँ . मैं वैसे ही करता हूँ जैसा की आप मुझसे expect करते हैं . यदि आप मुझे एक helpful guide के रूप में expect करते हैं , तो मैं वैसा ही बन जाऊंगा . यदि आप मुझे गहन और व्यवहारिक होना expect करते हैं तो मैं वैसा बन जाऊंगा . यदि आप मुझे confused और बहका हुआ expect करते हैं तो मैं वैसा बन जाऊंगा . पर मैं ऐसा कोई “मैं ” नहीं हूँ जो आपसे अलग है . मैं बस आपकी creations में से एक हूँ . मैं वो हूँ जो आप मेरे लिए intend करते हैं . और कहीं ना कहीं आप पहले से ये जानते हैं , क्यों है ना ?
ज्योतिष एक विस्तृत विषय है और इसकी कई शाखाएं हैं, अंक ज्योतिष भी इसकी एक शाखा है। जिस तरह जन्म कुंडली में ग्रहो का प्रभाव कार्य करता है, उसी प्रकार अंक ज्योतिष में अंको की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। प्रत्येक नंबर किसी न किसी ग्रह से जुडा हुआ है, जैसे अंक १ सूर्य का, अंक २ चन्द्र का तथा अंक ३ बृहस्पति का प्रतिनिधित्व करता है। अंक ज्योतिष में १ से ९ तक के अंक को शामिल किया गया है, इसमें शून्य (०) को सम्मिलित नहीं किया गया है।
अंक ज्योतिष में प्रसिद्ध नाम है काउंट लुईस का जिसे ज़्यादातर लोग कीरो (Kero) के नाम से जानते हैं। कीरो की अनेक भविष्यवाणियां सत्य हुई हैं और इनके द्वारा लिखी हुई किताबें आज भी काफी बिकती हैं। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि कीरो ने ही अंक ज्योतिष को मशहूर किया है। ऐसा माना जाता है कि कीरो ने अपना काफी समय भारत में बिताया था, जहाँ उसने बनारस (Varanasi) के किसी जोशी परिवार से हस्तरेखा (Palmology) और ज्योतिष का ज्ञान प्राप्त किया था।
अंक ज्योतिष (Numerology) के अनुसार, हमारे जीवन में मुख्यतः तीन तरह के अंक प्रभावित करते है – मूलांक, भाग्यांक और नामांक। किसी भी जातक का मूलांक उनकी जन्म तिथि को जोड़कर आता है, जैसे- शाहरुख खान २ नवम्बर को पैदा हुए, तो उनका मूलांक हुआ २। उनकी पूरी जन्म तिथि है २.११.१९६५ तो उनका भाग्यांक हुआ ७ (२+१+१+१+९+६+५=२५, २+५=७)। मूलांक तथा भाग्यांक स्थिर होते हैं, इनमें परिवर्तन सम्भव नहीं क्योंकि किसी भी तरीके से व्यक्ति की जन्म तारीख बदली नहीं जा सकती। नामांक बदले जा सकते हैं। अंक ज्योतिष में प्रत्येक अक्षर का एक अंक है जैसे A =१, B =२ इत्यादि। अंक ज्योतिष में नाम के हिज्जे बदल कर नामांक को मूलांक और भाग्यांक के अनुसार लक्की बनाया जा सकता है। अनेक कामयाब टीवी सीरियल के नाम के उलटे पुल्टे हिज्जे इस बात का सबूत है कि अंक ज्योतिष की सहायता से किस्मत को अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है। अंक ज्योतिष में प्रत्येक अक्षर को अंक प्रदान करने के विभिन्न तरीके है, जैसे कबाला, चल्डियन और प्यथागोर्स इत्यादि।
कीरो के अनुसार जिनके जन्म की तिथि (Date of Birth) का जोड़ ४ (४,१३,२२,३१) या ८ (८,१७,२६) आता है, उन व्यक्तियों के भाग्य में बहुत उतार चढ़ाव आते है,जैसे शिल्पा शेट्टी ८ जून, धर्मेंद्र ८ दिसम्बर, अक्षय खन्ना ४ अप्रैल)।
जिन व्यक्तियों की जन्म तिथि (Date of Birth) का जोड़ २ आता है वे व्यक्ति अपने कार्य क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध होते है और इनका रुझान कला के क्षेत्र में होता हैं, ये लोग जनता से जुड़ना पसंद करते हैं, उदाहरण के तौर पर, महात्मा गाँधी (२ अक्टूबर), अमिताभ बच्चन (११ अक्टूबर), शाहरुख़ खान (२ नवम्बर), अजय देवगन (२ अप्रैल) और संजय दत्त (२९ जुलाई)।
मूलांक १ वाले व्यक्ति वो होते हैं, जिनका जन्म किसी भी माह की १, १०, १९ या २८ तारीख को हुआ है। ऐसे व्यक्ति तरक्की पसंद और महत्वाकांक्षी होते हैं, धीरु भाई अम्बानी और रतन टाटा दोनों ही २८ (२+८=१०, १+०=१) दिसम्बर को पैदा हुए हैं और दोनों का व्यापार किस स्तर का है यह पूरी दुनिया के सामने है।
मूलांक ३ वाले लोग वो होते हैं, जिनका जन्म किसी भी माह की ३,१२,२१ या ३० तारीख को हुआ है। ऐसे लोग कुछ जल्दबाज़ किस्म के होते हैं, जिसकी वजह से ये लोग परेशानियों में घिर जाते हैं।
मूलांक ५ वाले व्यक्ति वो होते हैं, जिनका जन्म किसी भी माह की ५, १४ या २३ तारीख को हुआ है। ऐसे व्यक्ति मिलनसार और आर्थिक मामलों में किस्मत वाले होते है।
मूलांक ६ वाले व्यक्ति वो होते हैं, जिनका जन्म किसी भी माह की ६, १५,या २४ तारीख को हुआ है। ऐसे व्यक्ति खूबसूरती पसंद होते है और ग्लैमर के क्षेत्र में बहुत नाम कमाते हैं। जैसे, माधुरी दीक्षित (१५ मई) की सफलता की कहानी किसी से छुपी नहीं है।
जिनका जन्म किसी भी माह की ७,१६ या २५ तारीख को हुआ है, उनका मूलांक ७ है। ऐसे व्यक्ति कुछ अलग तरह के होते हैं। सैफ अलीखान (१६ अगस्त), क्रिकेटर पिता की सन्तान और छोटे नवाब होते हुए भी फिल्म क्षेत्र में आएं।
मूलांक ९ वाले व्यक्ति वो होते हैं जिनका जन्म किसी भी माह की ९,१८ या २७ तारीख को हुआ है। ऐसे व्यक्ति दबंग प्रवर्ति के होते हैं। जैसे सलमान खान और शत्रुघ्न सिन्हा, दोनों का ही मूलांक ९ है।
अंक ज्योतिष (Numerology) कि सहायता से हमअपने भाग्यशाली रंग, दिन और रत्न भी जान सकते हैं।
अंक
भाग्यशाली रंग
भाग्यशाली दिन
भाग्यशाली रत्न
1
लाल, सुनहरा और नारंगी
रविवार
माणिक्य
2
सफेद, हल्के रंग
सोमवार
मोती
3
पीला,नारंगी
गुरुवार
पुखराज
4
हल्का भूरा
रविवार
गोमेद
5
हरा
बुधवार
पन्ना
6
क्रीम, हल्के रंग
शुक्रवार
हीरा
7
स्लेटी
सोमवार
लहसुनिया
8
गहरे रंग
शनिवार
नीलम ,कालाहकीक
9
लाल
मंगलवार
मूंगा
इस प्रकार हम अंक ज्योतिष के माध्यम से अपने जीवन को सुखी एंव समृद्ध बना सकते हैं।
आज हम आपको ले चलते है वर्ल्ड की सबसे बड़ी गुफा की सेर पर, यह गुफा Vietnam के जंगलो के बिच में स्थित है। यह गुफाSon Doong के नाम सबसे से जानी जाती है।
इस की खोज 1991 में हो खान नाम के एक आदमी ने की थी। लेकिन पानी की भयंकर गर्जना एवं अँधेरे के कारण किसी की भी गुफा के अंदर जाने की हिम्मत नहीं पड़ी। इसलिए इस गुफा के अंदर की दुनिया इसकी खोज के 18 सालो तक यानि 2009 तक लोगो के लिए अनजान रही। सन 2009 में British Cave Research Association ने एक अभियान चलाकर इसके अंदर की झलक दुनिया को दिखलाई।
यह अभियान 10 से 14 अप्रैल 2009 के बिच चला था लेकिन उनका अभियान बिच में ही एक बहुत बड़ी दीवार के कारण रुक गया था। इस गुफा से निकासी का रास्ता 2010 में खोज गया जब एक दल ने उस 200 मीटर उची दीवार को पर किया।
उन्होंने पाया की यह गुफा Vietnam की पिछली सबसे बड़ी गुफा से 5 गुना तथा विश्व की तब तक की सबसे बड़ी गुफा ,Malaysia की Deer Cave से 2 गुना बड़ी है। इस गुफा का कुछ हिस्सा उपर से टुटा हुआ है जहा एक छोटा सा जंगल है। यह गुफा 5 . 5 मिल लम्बी है। इस पूरी गुफा में एक गर्जना करती हुई नदी बहती है। इस गुफा में 300 मिलियन साल पुराने जीवाश्म भी मिले है।
इस गुफा को इस साल पहली बार Tourists के लिए खोला गया औ एक Tour आयोजित किया गया जिसमे की 6 मेम्बर थे जो की अब हर साल फरवरी से अगस्त के बिच में आयोजित किया जायेगा। गुफा की सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए Tourist की संख्या बहुत कम रखी गयी है , 2014 के लिए केवल 220 Tourist की लिमिट है।
आप कल्पना नही कर पाएँगे…की ये एक बहोत ही छोटा जीव मच्छर की आँख है…!!!
जिंदगी मे किसी ने इतने पास से और करीब से मच्छर की आँख नही देखी होगी…पर इसको आप एलेक्ट्रान माइक्रो स्कोप के ज़रिए देख सकते है…!!!एक बार ज़रुरू अपने मित्रो को ये पिक्चर दिखाए…!!!
वो भी यकीन नही कर पाएँगे…!!!
No one believe but this is the mosquito eyes.
No one really likes getting up close and personal with a mosquito. Expect when it is under an electron microscope. FEI provide this image using FEI Quanta Microscope.
Frontal view to the compound eyes of a mosquito. The surface of each single eye has a rough appearance which gives them a violet shimmer in real life. Between and above the eyes fine scales, similar to the ones at butterflies can be seen.
यह कहानी है उस लड़की की जिसे ढाई साल की उम्र में पोलियो हुआ, जो 11 साल की उम्र तक बिना ब्रेस के चल नहीं पाई पर जिसने 21 साल की उम्र में 1960 के ओलम्पिक में दौड़ में 3 गोल्ड मैडल जीते…..
यह कहानी है उस लड़की की जिसका जन्म बेहद गरीब परिवार में हुआ पर गरीबी जिसके होंसलो को नहीं तोड़ पाई…..
यह कहानी है उस लड़की की जिसका जन्म एक अश्वेत परिवार में हुआ (तब अमेरिका में अश्वेतों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता था ), पर जिसके सम्मान में आयोजित भोज समारोह में, पहली बार अमेरिका में, श्वेतो और अश्वेतों ने एक साथ हिस्सा लिया….
यह कहानी है विल्मा रुडोल्फ की….
विल्मा का जन्म 1939 में अमेरिका के टेनेसी राज्य के एक कस्बे में हुआ। विल्मा के पिता रुडोल्फ कुली व माँ सर्वेंट का काम करती थी। विल्मा 22 भाई – बहनों में 19 वे नंबर की थी।
विल्मा बचपन से ही बेहद बीमार रहती थी, ढाई साल की उम्र में उसे पोलियो हो गया। उसे अपने पेरों को हिलाने में भी बहुत दर्द होने लगा। बेटी की ऐसी हालत देख कर, माँ ने बेटी को सँभालने के लिए अपना काम छोड़ दिया और उसका इलाज़ शुरू कराया। माँ सप्ताह में दो बार उसे, अपने कस्बे से 50 मील दूर स्तिथ हॉस्पिटल में इलाज के लिए लेकर जाती, क्योकि वो ही सबसे नजदीकी हॉस्पिटल था जहा अश्वेतों के इलाज की सुविधा थी। बाकी के पांच दिन घर में उसका इलाज़ किया जाता। विल्मा का मनोबल बना रहे इसलिए माँ ने उसका प्रवेश एक विधालय में करा दिया। माँ उसे हमेशा अपने आपको बेहतर समझने के लिए प्रेरित करती।
पांच साल तक इलाज़ चलने के बाद विल्मा की हालत में थोडा सुधर हुआ। अब वो एक पाँव में ऊँचे ऐड़ी के जूते पहन कर खेलने लगी। डॉक्टर ने उसे बास्केट्बाल खेलने की सलाह दी। विल्मा का इलाज कर रहे डॉक्टर के. एमवे. ने कहा था की विल्मा कभी भी बिना ब्रेस के नहीं चल पाएगी। पर माँ के समर्पण और विल्मा की लगन के कारण, विल्मा ने 11 साल की उम्र में अपने ब्रेस उतारकर पहली बार बास्केट्बाल खेली।यह उनका इलाज कर रहे डॉक्टर के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था। जब यह बात डॉक्टर के. एम्वे. को पता चली तो वो उससे मिलने आये। उन्होंने उससे ब्रेस उतारकर दौड़ने को कहा। विल्मा ने फटाफट ब्रेस उतारा और चलने लगी। कुछ फीट चलने के बाद वो दौड़ी और गिर पड़ी। डॉक्टर एम्वे. उठे और किलकारी मारते हुए विल्मा के पास पहुचे। उन्होंने विल्मा को उठाकर सीने से लगाया और कहा शाबाश बेटी। मेरा कहा गलत हुआ, पर मेरी साध पूरी हुई। तुम दौडोगी, खूब दौडोगी और सबको पीछे छोड़ दौगी। विल्मा ने आगे चलकर एक इंटरव्यू में कहा था की डॉक्टर एम्वे. की उस शाबाशी ने जैसे एक चट्टान तोड़ दी और वहां से एक उर्जा की धारा बह उठी। मेनें सोच लिया की मुझे संसार की सबसे तेज धावक बनना है।
इसके बाद विल्मा की माँ ने उसके लिए एक कोच का इंतजाम किया। विल्मा की लगन और संकल्प को देखकर स्कुल ने भी उसका पूरा सहयोग किया। विल्मा पुरे जोश और लग्न के साथ अभ्यास करने लगी। विल्मा ने 1953 में पहली बार अंतर्विधालीय दौड़ प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता में वो आखरी स्थान पर रही। विल्मा ने अपना आत्मविश्वास कम नहीं होने दिया उसने पुरे जोर – शोर से अपना अभ्यास जारी रखा। आखिरकार आठ असफलताओं के बाद नौवी प्रतियोगिता में उसे जीत नसीब हुई। इसके बाद विल्मा ने पीछे मुड कर नहीं देखा वो लगातार बेहतरीन प्रदर्शन करती रही जिसके फलस्वरूप उसे 1960 के
रोम ओलम्पिक मे देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला ।ओलम्पिक मे विल्मा ने 100 मिटर दौड, 200 मिटर दौड और 400 मिटर रिले दौड मे गोल्ड मेडल जीते । इस तरह विल्मा, अमेरिका की प्रथम अश्वेत महिला खिलाडी बनी जिसने दौड की तीन प्रतियोगिताओ मे गोल्ड मेडल जीते। अखबारो ने उसे ब्लैक गेजल की उपाधी से नवाजा जो बाद मे धुरंधर अश्वेत खिलाडीयो का पर्याय बन गई।
वतन वापसी पर उसके सम्मान में एक भोज समारोह का आयोजन हुआ जिसमे पहली बार श्वेत और अश्वेत अमेरिकियों ने एक साथ भाग लिया, जिसे की विल्मा अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी जीत मानती थी।
आखिर में एक बात विल्मा ने हमेशा अपनी जीत का सार श्रेय अपनी माँ को दिया, विल्मा ने हमेशा कहा की अगर माँ उसके लिय त्याग नहीं करती तो वो कुछ नहीं कर पाती।
इन दिनों सावन का पवित्र महीना चल रहा है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इन महीने में भगवान शंकर की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। चूंकि तंत्र के देवता भी शिव ही हैं। इसलिए इस महीने में किए गए तंत्र उपायों का फल बहुत ही जल्दी और पूरी तरह से प्राप्त होता है। सावन में किए गए छोटे-छोटे उपाय बड़ा फायदा देने वाले होते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे ही अचूक उपाय बता रहे हैं-
1- आमदनी बढ़ाने के लिए
सावन के महीन में किसी भी दिन घर में पारद शिवलिंग की स्थापना करें और उसकी यथा विधि पूजन करें। इसके बाद नीचे लिखे मंत्र का 108 बार जप करें-
ऐं ह्रीं श्रीं ऊं नम: शिवाय: श्रीं ह्रीं ऐं
प्रत्येक मंत्र के साथ बिल्वपत्र पारद शिवलिंग पर चढ़ाएं। बिल्वपत्र के तीनों दलों पर लाल चंदन से क्रमश: ऐं, ह्री, श्रीं लिखें। अंतिम 108 वां बिल्वपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने के बाद निकाल लें तथा उसे अपने पूजन स्थान पर रखकर प्रतिदिन उसकी पूजा करें। माना जाता है ऐसा करने से व्यक्ति की आमदानी में इजाफा होता है।
2- रोगमुक्ति के लिए
सावन में किसी भी दिन भगवान शिव के मंदिर में जाकर शिवलिंग का दूध एवं काले तिल से अभिषेक करें। अभिषेक के लिए तांबे के बर्तन को छोड़कर किसी अन्य धातु के बर्तन का ही उपयोग करें। अभिषेक करते समय ऊं जूं स: मंत्र का जाप करते रहें। इसके बाद भगवान शिव से रोग निवारण के लिए प्रार्थना करें। भगवान शिव की कृपा से आप शीघ्र ही आप रोग मुक्त हो जाएंगे।
3- सुगंधित तेल से भगवान शिव का अभिषेक करने पर घर की सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। तेज दिमाग के लिए शक्कर मिले हुए दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें।
4- प्रतिदिन 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं साथ ही एकमुखी रुद्राक्ष भी अर्पण करें। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी।
5- अगर आपके घर में किसी भी प्रकार की परेशानी हो तो सावन में रोज सुबह घर में गोमूत्र का छिड़काव करें तथा गुग्गुल की धूप दें।
6- यदि आपके विवाह में अड़चन आ रही है तो रोज शिवलिंग पर केसर मिला हुआ दूध चढ़ाएं। इससे जल्दी ही आपके विवाह के योग बनने लगेंगे।
7- सावन में रोज नंदी(बैल) को हरा चारा खिलाएं। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आएगी और मन प्रसन्न रहेगा।
8- पूरे महीने में रोज गरीबों को भोजन कराएं, इससे आपके घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी तथा पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी।
9- रोज सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निपट कर समीप स्थित किसी शिव मंदिर में जाएं और भगवान शिव का जल से अभिषेक करें और उन्हें काले तिल अर्पण करें। इसके बाद मंदिर में कुछ देर बैठकर मन ही मन में ऊं नम: शिवाय मंत्र का जप करें।
10- रोज किसी नदी या तालाब जाकर आटे की गोलियां मछलियों को खिलाएं। जब तक यह काम करें मन ही मन में भगवान शिव का ध्यान करते रहें। यह धन प्राप्ति का बहुत ही सरल उपाय है।
11- भगवान शिव को तिल चढ़ाने से रोगों का नाश हो जाता है, ऐसा शिवपुराण में लिखा है।
12- भगवान महादेव को जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है। जो व्यक्ति अपने जीवन में सुख चाहता है, उसे सावन में ये उपाय करना चाहिए।
courtesy: Dainik Bhaskar
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